मराठा समाज को आरक्षण देने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश (GR) के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गई है। यह आदेश मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के हालिया अनशन के बाद आया है। राज्य के ओबीसी, एससी और एसटी समूहों ने इस सरकारी आदेश पर चिंता जताई है और कहा है कि मराठा कोटा लागू होने से उनके समूहों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मराठा कोटा ओबीसी के अधिकारों को प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने यह भी संकेत दिए कि इस लड़ाई का राजनीतिक संघर्ष इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है। साथ ही मुख्यमंत्री ने लोगों को इस मामले में अतिवादी राजनीति से सावधान रहने की हिदायत दी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मराठा आरक्षण का मुद्दा अब राज्य में सियासी बहस और आंदोलनों का केंद्र बन गया है और आने वाले समय में इसे लेकर और तनाव की संभावना है।
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इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश (GR) के बाद मराठा समाज को आरक्षण देने के प्रयास ने राज्य की राजनीति और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है। मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के अनशन के बाद आए इस आदेश पर ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों ने चिंता जताई और कहा कि यह उनके अधिकारों को प्रभावित कर सकता है। राजनीतिक पटल पर भी स्थिति तनावपूर्ण है। एनसीपी संस्थापक शरद पवार ने फडणवीस सरकार पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने और समाज में खाई चौड़ा करने की कोशिश कर रही है।
GR से OBC के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे: फडणवीस
महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण देने के उद्देश्य से जारी सरकारी आदेश (GR) को लेकर राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया कि इस आदेश से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। फडणवीस ने कहा कि सरकार ओबीसी और मराठों सहित सभी समुदायों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी लाभ का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मराठा कोटा के संबंध में “फर्जी व्यक्तियों” को आरक्षण लाभ नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा राजनीति कर रहे हैं और लोगों में भय पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर अतिवादी राजनीति हो रही है और ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि OBC आरक्षण खत्म हो गया है। इससे OBC छात्रों की मानसिकता प्रभावित हो रही है।” राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मराठा आरक्षण का मामला अब राज्य में सामाजिक संतुलन और राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।
OBC, आदिवासी और बंजारा संगठन GR वापसी की कर रहे मांग
सरकारी आदेश जारी होने के कुछ हफ़्ते बाद, कई OBC, आदिवासी और बंजारा संगठनों ने सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की और विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी। विभिन्न जाति समूहों का तर्क है कि मराठा समुदाय के सदस्यों को OBC कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए हैदराबाद राजपत्र के कार्यान्वयन से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मराठा आरक्षण का मामला अब राज्य में सामाजिक संतुलन और राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है और आने वाले समय में इसे लेकर तनाव और बढ़ सकता है।
अब बंजारों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल
इस बीच, बंजारा संगठन गोर सेना के अध्यक्ष संदेश चव्हाण ने कहा, “हमें अनुसूचित जनजाति के रूप में चिन्हित किया गया था और हैदराबाद में हमें आरक्षण प्राप्त है। हम चाहते हैं कि हमारे समान अधिकार यहां भी बहाल हों।” चव्हाण ने यह भी दावा किया कि धाराशिव के 32 वर्षीय बंजारा स्नातक ने शनिवार को आरक्षण की मांग करते हुए आत्महत्या कर ली, और इस दौरान उसने अनुसूचित जनजाति आरक्षण की मांग करते हुए एक नोट छोड़ा था। बंजारा समुदाय के लोग 11 सितंबर से जालना कलेक्टर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वहीं, इस समुदाय के वरिष्ठ नेता हरिभाऊ राठौड़ ने सोमवार को जालना और बीड में मोर्चा निकालने की घोषणा की है।
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आदिवासी कर रहे बंजारा समुदाय की मांग का विरोध
आदिवासी संगठनों ने बंजारा समुदाय की इस मांग का विरोध किया है और दावा किया कि बंजारा समुदाय को विमुक्त जाति और घुमंतू जनजाति (VJNT) श्रेणी के तहत पहले से ही 3 फीसदी कोटा का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, OBC कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे और सतसुंग मुंधे ने चेतावनी दी है कि कोटा बढ़ाने से अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में पहले से सूचीबद्ध 374 जातियों के अधिकारों को खतरा होगा। OBC नेताओं ने 10 अक्टूबर को नागपुर में विशाल मोर्चा निकालने का संकल्प लिया है।
एक भी फर्जी व्यक्ति को ओबीसी में जगह नहीं
महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए जारी सरकारी आदेश (GR) के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को पुणे टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह आदेश OBC के अधिकारों को प्रभावित नहीं करेगा। फडणवीस ने स्पष्ट किया, “एक भी फर्जी व्यक्ति को OBC श्रेणी में शामिल नहीं किया जाएगा। फर्जी का मतलब उन लोगों से है जो OBC नहीं हैं। GR में ऐसी सावधानी बरती गई है।”
ओबीसी के लिए एक अलग विभाग बनाया
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से OBC कल्याण से जुड़े सभी फैसले उनकी सरकार ने लिए हैं। उन्होंने बताया OBC के लिए अलग विभाग बनाया गया। विभिन्न OBC कल्याण योजनाएं शुरू की गईं। महा ज्योति जैसी पहल के माध्यम से OBC समुदाय को समर्थन दिया गया। पिछली सरकार के कार्यकाल में 27 प्रतिशत OBC कोटा बहाल किया गया। फडणवीस ने कहा, “इसलिए OBC जानते हैं कि उनके कल्याण की चिंता किसे है।” राज्य में जारी विवाद, जिसमें बंजारा आंदोलन, आदिवासी विरोध और OBC चेतावनी शामिल हैं, के बीच यह बयान सरकार की सभी समुदायों के हितों को संतुलित करने की नीति को दर्शाता है।
मराठों और ओबीसी के बीच दरार कम नहीं होगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठा और OBC समुदायों के बीच बढ़ती दरार तब तक कम नहीं होगी, जब तक दोनों समुदायों के नेता लोगों को इस मुद्दे के बारे में सही तथ्य नहीं बताएंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “मैं कहना चाहूंगा कि केवल उन्हीं लोगों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे जिनके पास कुनबी होने का रिकॉर्ड है। ऐसे रिकॉर्ड के बिना किसी को भी प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। इसलिए OBC को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।” फडणवीस ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा राजनीति हो रही है और ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि OBC आरक्षण समाप्त हो गया है, जिससे OBC छात्रों की सोच प्रभावित हो रही है।
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