Gaya Ji Tarpan After Home Rituals: गया जी को मोक्षधाम मानकर यहां तर्पण और पिंडदान का बड़ा महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यता है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया जी में विधिवत पिंडदान करने से ही मोक्ष के द्वार खुलते हैं. शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि अगर यहां श्राद्ध कर्म करने के बाद घर लौटकर कुछ विशेष नियम पूरे नहीं किए जाएं, तो कर्म अधूरा माना जाता है और उसका फल व्यक्ति को ठीक तरह से नहीं मिलता.

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Gaya Ji Tarpan After Home Rituals

Gaya Ji Tarpan After Home Rituals

घर लौटकर करें ये विशेष कार्य (Gaya Ji Tarpan After Home Rituals)

पुराणों और धर्मग्रंथों के अनुसार जब कोई व्यक्ति गया जी जाकर अपने पितरों का तर्पण या पिंडदान करता है, तब घर लौटने के बाद उसे सबसे पहले पितरों के नाम से ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराना चाहिए. साथ ही जल अर्पण कर आशीर्वाद लेना भी आवश्यक है. इसके अलावा घर में पवित्र वातावरण बनाए रखने के लिए गंगा जल का छिड़काव करना और तुलसी के पौधे को जल देना जरूरी माना गया है. यह अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का सबसे सरल और प्रभावी तरीका बताया गया है.

घर आने के बाद श्राद्धकर्ता को सात्विक आहार अपनाना चाहिए और क्रोध, वाणी की कठोरता या किसी भी प्रकार के अपवित्र कार्य से दूर रहना चाहिए. तर्पण के बाद परिवार में शांति बनाए रखना और पूर्वजों के नाम से यथाशक्ति दान करना भी उतना ही जरूरी है. शास्त्र कहते हैं कि जब तक घर में श्रम से बचा हुआ अन्न गरीबों, पक्षियों या जीवों को समर्पित न किया जाए, तब तक तर्पण का पुण्य अधूरा रहता है.

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अभी कितने दिन शेष हैं पितृपक्ष के? (Gaya Ji Tarpan After Home Rituals)

इस बार पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हुए हैं और 21 सितंबर तक चलेंगे. आगामी अमावस्या के अवसर पर पितरों के लिए तर्पण का खास महत्व रहेगा.

ध्यान रखने वाली बात यह है कि गया जी में किए गए तर्पण का सबसे बड़ा महत्व तभी सिद्ध होता है जब घर लौटकर भी उसकी मर्यादा निभाई जाए. केवल स्थल विशेष पर कर्मकांड करने से नहीं, बल्कि उसे जीवन में उतारने और दूसरों के साथ बांटने से ही पितरों की आत्मा को वास्तविक तृप्ति मिलती है. यही कारण है कि धर्माचार्य पितृपक्ष में श्राद्ध पूरा होने के बाद भी पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने पर बल देते हैं.

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