लखनऊ. वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Order) के आदेश पर ईदगाह इमाम और AIMPALB सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि “हमारी मांग थी कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाई जाए. लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है. हालांकि, कोर्ट ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है और हम कुछ प्रावधानों पर रोक का स्वागत करते हैं, जैसे कि जो व्यक्ति वक्फ करना चाहता है, उसे कम से कम 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि CEO मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए. धारा 3 और 4 पर रोक एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है और हमें उम्मीद है कि जब भी अंतिम निर्णय आएगा, हमें 100% राहत दी जाएगी.”

बता दें कि वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. मोदी सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन कानून रद्द नहीं होगा. हालांकि देश के शीर्ष न्यायालय ने संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून के 3 प्रावधानों पर रोक लगाई है, जिसमें बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे, 5 साल इस्लाम फॉलो करना जरूरी नहीं होगा. साथ ही कलेक्टर संपत्ति सर्वे नहीं करेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला वक्फ संपत्ति और धार्मिक संस्थाओं से जुड़े मामलों में अस्पष्टता और विवाद को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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इन प्रावधानों पर रोक

  • सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसके अनुसार वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था. यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं हैं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं है.
  • न्यायालय ने निर्देश दिया है कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए. कोर्ट ने इसको लेकर आदेश नहीं दिया है. बल्कि अपना सुझाव दिया है.
  • इसके साथ ही बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में से 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. ये भी एक राहत भरा फैसला माना जा रहा है. जबकि काउंसिल में 4 गैर मुस्लिम सदस्यों को रखने की मंजूरी दी है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह पहलू पहले के कानूनों में भी मौजूद था. न्यायालय ने कहा कि उसने अपने आदेश में इस पहलू पर ध्यान दिया है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति के अधिकार तय करने की अनुमति नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जब धारा 3(c) के तहत वक्फ संपत्ति पर अंतिम फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट से नहीं हो जाता, तब तक न तो वक्फ को संपत्ति से बेदखल किया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट के फैसले तक राजस्व रिकॉर्ड में भी किसी तरीके की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. यानी अब कलेक्टर के तय करने से ही ये साबित नहीं होगा कि संपत्ति वक्फ है नहीं.