बिहार-झारखंड कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी अमित खरे को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने रविवार, 14 सितंबर 2025 को आदेश जारी कर इसकी आधिकारिक पुष्टि की। आदेश के अनुसार, खरे की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर तीन सालों के लिए की गई है। खरे की पहचान एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में रही है। उन्हें विशेष रूप से चारा घोटाले का पर्दाफाश करने में निभाई गई उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। इससे पहले वे 12 अक्टूबर 2021 से प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में कार्यरत थे, जहाँ वे प्रधानमंत्री कार्यालय में सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मामलों को देख रहे थे। अपने लंबे प्रशासनिक कार्यकाल में अमित खरे ने केंद्र और राज्य सरकारों में कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएँ दी हैं।
करियर की शुरुआत और उपलब्धियां
- अमित खरे ने 1985 में UPSC सिविल सर्विस परीक्षा पास कर IAS में चयन पाया।
- इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में ट्रेनिंग ली।
- ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 1 सितंबर 1987 को उनकी पहली नियुक्ति बिहार में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में हुई।
- वर्ष 1992 में वे दरभंगा जिले के जिला मजिस्ट्रेट (DM) बने।
- खरे को विशेष रूप से चारा घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए जाना जाता है।
हालिया भूमिकाएँ
- 12 अक्टूबर 2021 से वे प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, जहाँ वे सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मामलों को देखते रहे।
- इससे पहले भी वे केंद्र और राज्य सरकारों में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर सेवाएँ दे चुके हैं।
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जिलों और प्रमुख पदों पर जिम्मेदारियां
अमित खरे अपने लंबे प्रशासनिक कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे:
- दरभंगा, बेगूसराय, चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) और पटना के कलेक्टर (DM) रहे।
- बिहार में रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी।
- झारखंड के पहले वाणिज्यिक कर आयुक्त।
- झारखंड के अतिरिक्त वित्त आयुक्त।
- झारखंड वित्त एवं योजना विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी।
- झारखंड मानव संसाधन विकास विभाग के सेक्रेटरी।
- इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन विभाग के सेक्रेटरी।
- झारखंड के राज्यपाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 टीम का भी हिस्सा
31 मई 2018 को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण सचिव बने। इसके बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव और उच्च शिक्षा सचिव के रूप में भी कार्य किया। खरे ने झारखंड में किया बेहतरीन काम
अब दिल्ली में SIR कराने की तैयारी, अधिकारियों को दी जा रही ट्रेनिंग, निर्वाचन आयोग ने शुरू की तैयारी
अमित खरे का प्रशासनिक सफर
- 1985 – UPSC पास कर IAS में चयन (बिहार-झारखंड कैडर)
- 1987 – असिस्टेंट कलेक्टर, बिहार
- 1992 – दरभंगा के DM (बाद में बेगूसराय, चाईबासा और पटना के DM रहे)
- 2008–2014 – संयुक्त सचिव, उच्च शिक्षा, भारत सरकार
- यूनेस्को, शिक्षा नीति, पुस्तक संवर्धन और कॉपीराइट से जुड़े कार्य
- 2014 के बाद – झारखंड में
- मानव संसाधन विकास सचिव
- रांची विश्वविद्यालय के कुलपति
- विकास आयुक्त और अपर मुख्य सचिव (वित्त-सह-योजना)
- बजट-पूर्व परामर्श, निष्पादन बजट, लैंगिक बजट, क्षेत्रीय बजट
- वित्तीय समावेशन और DBT का क्रियान्वयन
- 2018 – सूचना एवं प्रसारण सचिव, भारत सरकार
- इसके बाद – स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव और उच्च शिक्षा सचिव
- 2020 – राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 तैयार और लागू करने वाली टीम का हिस्सा
- 2021–2025 – प्रधानमंत्री के सलाहकार (सामाजिक क्षेत्र मामलों पर)
- 2025 – उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन के सेक्रेटरी नियुक्त
चारा घोटाले को उजागर किया
1990 के दशक में बिहार के पशुपालन (चारा) विभाग में फर्जी बिलों के आधार पर लगभग 900 करोड़ रुपये की निकासी की चर्चाएँ तेज़ थीं। इसी बीच युवा IAS अधिकारी अमित खरे को चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम) जिले का डिप्टी कमिश्नर बनाकर भेजा गया। चाईबासा पहुंचने के बाद खरे ने ट्रेजरी में छापा मारा और वहां बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया। उन्होंने कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और ट्रेजरी को सील कर दिया। यही कदम इस बड़े घोटाले को उजागर करने की दिशा में निर्णायक साबित हुआ। मामला बाद में CBI को सौंपा गया, और जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी अभियुक्त बनाए गए।
इसका बड़ा राजनीतिक असर हुआ, 25 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसी साल 30 जुलाई 1997 को उन्होंने पटना में सरेंडर किया और पहली बार जेल गए।
6 साल HRD मिनिस्ट्री में काम किए
अगस्त 2008 – अगस्त 2014 : भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट) में जॉइंट सेक्रेटरी रहे। इस दौरान उन्होंने यूनेस्को, शिक्षा नीति, पुस्तक संवर्धन और कॉपीराइट जैसे क्षेत्रों में काम किया। इसके बाद वे केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट में मेंबर सेक्रेटरी बने। फिर झारखंड सरकार में वित्त विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बने। बाद में झारखंड में ही बैंकिंग डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की जिम्मेदारी संभाली।
NEP 2020 तैयार करने वाली मुख्य टीम का हिस्सा रहे
दिसंबर 2019 को अमित खरे का तबादला केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय में हुआ। उन्हें हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया और साथ ही स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी डिपार्टमेंट का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया। इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 तैयार करने और लागू कराने में मुख्य भूमिका निभाई। वे NEP, 2020 को तैयार करने वाली कोर टीम का हिस्सा थे।खरे ने 30 सितंबर 2021 को शिक्षा मंत्रालय में सेक्रेटरी रहते हुए रिटायरमेंट लिया।
रिटायर होने के बाद पीएम के सलाहकार बने
अक्टूबर 2021 को अमित खरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 31 जुलाई 2021 को रिटायर हुए अमरजीत सिन्हा की जगह ली। पीएम के सलाहकार रहते हुए खरे को दो बार सेवा विस्तार (Extension) मिला, अक्टूबर 2023 में पहला विस्तार। जून 2024 में दूसरा विस्तार।
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