दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स (Signature View Apartments) के रहवासियों को राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने इमारत को गिराने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए 100 से अधिक परिवारों को 12 अक्टूबर तक घर खाली करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने हालांकि एक राहत प्रदान की है। अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को आदेश दिया कि जब तक पुनर्निर्माण के बाद नए फ्लैट उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक वह रहवासियों को 10% वार्षिक वृद्धि के साथ किराया देता रहे।
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रहवासी ले जा सकेंगे बाथरूम फिटिंग समेत अन्य सामान
इसके अलावा अदालत ने निवासियों को मकान खाली करने के दौरान बाथरूम फिटिंग्स, बिजली के सामान और अन्य लगाई गई चीजें अपने साथ ले जाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने DDA से यह भी कहा कि वह बिल्डिंग गिराने का काम कम से कम असुविधा देते हुए करे। हाई कोर्ट ने साफ किया कि अपार्टमेंट में रहना पूरी तरह निवासियों के अपने जोखिम पर होगा। अदालत ने कहा कि इस संबंध में कारण पहले ही 7 अगस्त के आदेश में बताए जा चुके हैं, जिसमें इमारत को रहने योग्य नहीं माना गया था।
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डीडीए कर्मचारियों से लोगों की मदद करने को कहा
हाई कोर्ट की पीठ ने डीडीए को यह भी निर्देश दिया कि वह सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स परिसर में एक कैंप कार्यालय स्थापित करे। इस कार्यालय का उद्देश्य निवासियों को दो दिनों के भीतर फ्लैट खाली करने और उन्हें डीडीए को सौंपने से जुड़ी दस्तावेजी औपचारिकताओं और अन्य प्रक्रियाओं में सहायता प्रदान करना होगा। अदालत ने डीडीए कर्मचारियों को यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि वे निवासियों के साथ सहयोगी रवैया अपनाएँ और घर खाली कराने की प्रक्रिया के दौरान छोटी-छोटी बातों पर अड़चन न डालें। कोर्ट ने जोर दिया कि यह पूरी कार्रवाई इस तरह होनी चाहिए जिससे लोगों को न्यूनतम असुविधा हो।
बनने के 13 साल बाद ही आ गया गिराने का आदेश
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स में कुल 336 फ्लैट बनाए गए थे, जिनका निर्माण 2007 से 2010 के बीच हुआ था। लेकिन आवंटन के कुछ ही वर्षों बाद इमारत की संरचनात्मक (स्ट्रक्चरल) खामियां सामने आने लगीं, जिससे इसकी सुरक्षा पर सवाल उठने लगे। इसी को देखते हुए दिल्ली नगर निगम ने 2023 में आईआईटी दिल्ली की तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर अपार्टमेंट्स को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित घोषित कर दिया और उन्हें गिराने के आदेश जारी किए थे।
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कोर्ट ने भी इमारत को रहने के लिए खतरनाक वअसुरक्षित माना
हाई कोर्ट का यह ताज़ा आदेश डीडीए की उस याचिका पर पारित किया गया, जिसमें एजेंसी ने दिसंबर 2023 के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में डीडीए के बढ़े हुए फ्लोर एरिया अनुपात (FAR) का उपयोग कर 168 अतिरिक्त फ्लैट बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
अदालत ने पहले ही अपने फैसले में कहा था कि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स के टॉवर structurally unsafe (संरचनात्मक रूप से असुरक्षित) हैं और इनका गिराना और पुनर्निर्माण जरूरी है। इसी आधार पर निवासियों को तीन महीने के भीतर फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई के दौरान निवासियों ने अदालत को बताया कि वे फ्लैट खाली करने के लिए तैयार हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने अनुरोध किया कि अदालत डीडीए को इमारत गिराने और उसके विध्वंस व पुनर्निर्माण के लिए निविदाएं जारी करने से रोके।
वहीं, डीडीए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय जैन ने अदालत से आग्रह किया कि दिसंबर 2023 में पारित एकल जज के आदेश के अनुपालन में निवासियों को फ्लैट खाली करने का स्पष्ट निर्देश दिया जाए। इसी पीठ ने जस्टिस मिनी पुष्करणा के 6 अगस्त 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली एक निवासी की याचिका को भी खारिज कर दिया। साथ ही, दिसंबर 2023 के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका को भी अदालत ने मंजूर नहीं किया।
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