Pakistan-Saudi Arabia Defense Deal: पाकिस्तान-सऊदी अरब ने डिफेंस डील की है। यह डिफेंस डील NATO देशों की तर्ज पर किया गया है। इस समझौते के तहत देनों देशों के किसी एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed bin Salman Al Saud) और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने 17 सितंबर को एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका नाम स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट है। इस समझौते की मुख्य शर्त यह है कि अगर सऊदी अरब या पाकिस्तान में से किसी एक पर हमला होता है तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। यानी दोनों देश साझा सुरक्षा के तहत एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।
इस समझौते के बाद तुर्की-चीन के बाद अब सऊदी भी पाक के साथ खड़ा हो गया है। साथ ही पाकिस्तान-सऊदी अरब बेस्ट फ्रेंड बन गए हैं। तो चलिए यहां जानते हैं कि इस डिफेंस डील से भारत का खेल कैसे बिगाड़ गया है? इस डील से भारत-सऊदी अरब के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा?
मामले पर अमेरिकी विशेषज्ञ माइकल कुलेगमेन ने कहा कि यह सिर्फ रक्षा समझौता नहीं बल्कि एक स्ट्रैटेजिक मैसेज है। पाकिस्तान अब चीन, तुर्किए और सऊदी अरब जैसे तीन बड़े सहयोगियों के साथ खड़ा है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि यह भारत को पाकिस्तान पर हमला करने से रोक देगा। वहीं पश्चिम एशिया मामलों के जानकार जहाक तनवीर कहते हैं कि पाक–सऊदी रक्षा समझौते नए नहीं हैं, पहले भी कई बार हुए हैं। अतीत में ये समझौते ज्यादातर सऊदी सुरक्षा पर केंद्रित रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान पर नहीं. पाकिस्तान की सेना को कई बार सऊदी हितों की किराए की सेना कहा गया है। हालांकि, भारत के खिलाफ सीधे सैन्य सहयोग की संभावना बेहद कम है।
पाकिस्तान-सऊदी अरब का ऐतिहासिक संबंध
पाकिस्तान-सऊदी अरब का संबंध काफी पुराना है। साल 1980-88 के दौरान ईरान-इराक युद्ध में पाकिस्तान ने सऊदी सुरक्षा का आश्वासन दिया था। 2014-15 में सऊदी ने इस्लामी सैन्य गठबंधन बनाया, जिसमें पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को नेतृत्व सौंपा गया. भारत–पाक युद्धों (1965, 1971, कारगिल 1999) में सऊदी ने पाकिस्तान को वित्तीय और राजनयिक सहायता दी, लेकिन सीधे भारतीय मोर्चे पर सेना नहीं भेजी।

भारत–सऊदी रिश्तों पर असर
सऊदी अरब ने कभी भी भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन नहीं दिया है। भारत और सऊदी के मजबूत सामरिक और आर्थिक संबंध हैं (ऊर्जा व्यापार, प्रवासी भारतीय, निवेश)। सऊदी अधिकारी ने साफ कहा है कि भारत के साथ संबंध मजबूत रहेंगे और क्षेत्रीय शांति में योगदान जारी रहेगा। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम इस समझौते पर नजर रख रहे हैं और इसे वैश्विक व क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से देखेंगे।
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