Shukra Pradosh Vrat: शुक्र प्रदोष व्रत 19 सितंबर को रखा जाएगा, जो शिव भक्तों के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाने का एक विशेष अवसर है. यह व्रत सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
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Shukra Pradosh Vrat
क्या है शुक्र प्रदोष व्रत? (Shukra Pradosh Vrat)
जब त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन पड़ती है, तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में मधुरता, संतान सुख और जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, यह व्रत शुक्र ग्रह से जुड़े दोषों को दूर करने में भी सहायक है.
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पूजा के लिए शुभ प्रदोष काल (Shukra Pradosh Vrat)
शास्त्रों के अनुसार, पूजा का सबसे शुभ समय सूर्यास्त के आसपास होता है, जिसे प्रदोष काल कहते हैं. 19 सितंबर को प्रदोष काल शाम 6:38 बजे से रात 8:55 बजे तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक और पूजा करना विशेष फलदायी होता है.
शुक्र प्रदोष व्रत लाभ और महत्व (Shukra Pradosh Vrat)
शुक्र प्रदोष व्रत रखने से मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य लाता है और सभी पापों का नाश करता है. यह शिव भक्तों के लिए अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक सुनहरा अवसर है. इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा और नियमों का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
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