शिव कुमार मिश्रा/ अरवल। जिले के कलेर प्रखंड स्थित रूपसागर बिगहा सहित चार गांवों के हजारों लोगों की जिंदगी अब भी एक कमजोर और खतरनाक चचरी पुल पर टिकी हुई है। यह चचरी पुल सोन नहर को पार करने का एकमात्र विकल्प है, जिससे रोजाना बच्चे, बुजुर्ग, किसान और आम ग्रामीणों की जान जोखिम में रहती है। रूपसागर बिगहा करमचंद बिगहा, सदरपुर और धेवई गांव के लोगों को मुख्य सोन नहर पार करने के लिए वर्षों से इसी अस्थायी चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है। यह नहर लगभग 15 फीट गहरी और 28 फीट चौड़ी है। पुल कमजोर होने की वजह से कई बार लोगों का भार नहीं सह पाता और वे नहर में गिर जाते हैं। पानी होने पर डूबने का खतरा रहता है और सूखे में गिरने पर गंभीर चोटें लगती हैं।

स्कूली बच्चों की जान पर आफत

गांव में केवल प्राथमिक विद्यालय है। पांचवीं कक्षा के बाद बच्चों को पढ़ाई के लिए बलिदाद गांव जाना पड़ता है। चचरी पुल से स्कूल की दूरी जहां केवल 500 मीटर है, वहीं पक्के पुल से जाने पर यह दूरी 3 किलोमीटर हो जाती है। दूरी और समय की बचत के लिए बच्चे खतरनाक चचरी पुल का ही उपयोग करते हैं। यह पुल बारिश में और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है।

अब तक चार लोगों की गई जान

ग्रामीणों के अनुसार, अब तक 4 लोगों की जान चचरी पुल से गिरने के कारण नहर में डूबने से जा चुकी है। पिछले वर्ष धेवई निवासी 82 वर्षीय हरिनाथ सिंह की मौत इसी तरह हुई थी। इसके अलावा विद्यानंद पासवान (रूपसागर बिगहा) मोती मिस्त्री और गणेश तिवारी (वालिदाद) की भी इसी पुल पर हादसे में जान चली गई।

20 साल से सिर्फ वादे, कोई पहल नहीं

स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले दो दशकों से चुनाव के समय नेता पुल निर्माण का आश्वासन तो देते हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीण अरविंद पासवान ने बताया कि बरसात के समय बुजुर्ग और बीमार लोग घर से निकल भी नहीं पाते।

क्या कहते हैं अधिकारी?

ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार ने कहा कि पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव जिला संचालन समिति द्वारा पारित कर विभाग को भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद निर्माण कराया जाएगा।

ग्रामीणों की एक ही मांग – पक्का पुल बने

रूपसागर बिगहा और आसपास के गांवों के ग्रामीणों की बस एक मांग है जल्द से जल्द इस स्थान पर पक्का पुल बने ताकि आमजन को राहत मिले और भविष्य में कोई और जान न गवानी पड़े।