CG High Court News: रायपुर/बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कर्मचारी (टीटीई) को बड़ी राहत दी है. कर्मचारी पर ट्रेन की अलार्म चेन खींचने के मामले में विभागीय कार्रवाई के तहत वेतन कटौती और पदावनति की सजा दी गई थी. लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि आरोप अस्पष्ट और अस्थिर थे तथा यह सिद्ध नहीं किया गया कि उन्होंने बिना उचित कारण के चेन खींची थी.


ये है पूरा मामला
घटना 15 जुलाई 2010 की है, जब बिलासपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन नंबर 2252 कोरबा-यशवंतपुर एक्सप्रेस रवाना हुई. आस्टिन हाइड, जो उस समय रेलवे कर्मचारी (टीटीई) होते हुए भी यात्री के रूप में यात्रा कर रहे थे, उन्होंने कथित तौर पर ट्रेन की अलार्म चेन दो बार खींची.
आरोप था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी परिवार की महिलाएं और सामान ट्रेन में चढ़ सकें. विभागीय जांच में दो आरपीएफ जवानों (गवाह) ने यह कहा कि कर्मचारी आस्टिन हाइड ने चेन खींची थी और कारण बताया कि उनका परिवार नहीं पहुंचा.
कर्मचारी पर हुई विभागीय कार्रवाई
2012 में अनुशासनिक प्राधिकारी ने कर्मचारी को दोषी मानते हुए दो वेतन स्तर नीचे पदावनति और दो साल के लिए वेतन कटौती की सजा दी. अपील (2013) और पुनरीक्षण (2014) में भी यह सजा बरकरार रखी गई. अंततः हाइड ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) जबलपुर बेंच में चुनौती दी, लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई.
डीबी ने कहा-आरोपपत्र में नहीं कहा कि बिना उचित कारण चेन खींची
जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने कहा कि, सिर्फ चेन खींचना अपने आप में अपराध या कदाचार नहीं है, जब तक यह सिद्ध न हो कि यह बिना उचित और पर्याप्त कारण किया गया. रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 141 में भी स्पष्ट है कि यदि कोई यात्री बिना पर्याप्त कारण चेन खींचे तो ही यह अपराध है.
विभागीय आरोपपत्र (चार्जशीट) में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि आस्टिन हाइड ने बिना उचित कारण चेन खींची. गवाहों ने भी केवल चेन खींचने की बात कही, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि परिवार ट्रेन में चढ़ा या यह कार्य अनुचित कारण से हुआ. इस तरह आरोपपत्र अस्पष्ट था और कर्मचारी को अपना बचाव करने का सही अवसर नहीं मिला.
अस्पष्ट आरोपों के आधार पर ही सजा को रखा गया था बरकरार
हाई कोर्ट ने कहा कि, अनुशासनिक प्राधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी, पुनरीक्षण प्राधिकारी और कैट, सभी ने गंभीर त्रुटि की और अस्पष्ट आरोपों पर ही सजा को बरकरार रखा. नतीजतन, कोर्ट ने सभी आदेशों (2012, 2013, 2014 और 2023) को रद्द कर दिया और आस्टिन हाइड पर लगाई गई सजा समाप्त कर दी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में विभागीय अधिकारियों को यह साबित करना आवश्यक है कि कर्मचारी ने बिना कारण चेन खींची, तभी यह कदाचार माना जाएगा.