सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने राजधानी दिल्ली में मैनुअल स्कैवेंजिंग(manual scavenging) की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए शुक्रवार को दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। दरअसल, कोर्ट परिसर के बाहर नालों की सफाई के लिए मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरणों के काम पर लगाए जाने की शिकायत सामने आई थी। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि अब दिल्ली की सभी नागरिक एजेंसियों को “नींद से जागने” का समय आ गया है। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मानव जीवन के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सरकार तथा एजेंसियों की यह जिम्मेदारी है कि मजदूरों को सुरक्षित कार्य वातावरण मुहैया कराया जाए।

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‘सुरक्षा नहीं, तो जिम्मेदारों पर FIR’

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से कोई हादसा होता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सीधे FIR दर्ज की जाएगी। कोर्ट ने कहा “हम स्पष्ट करते हैं कि अगर कोई अनहोनी होती है, तो इस कोर्ट के निर्देश पर अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। यह आदेश सिर्फ PWD के लिए नहीं, बल्कि सभी संबंधित अधिकारियों के लिए है। नींद से जागें और हमारे निर्देशों का पालन करें।”

बेंच ने यह भी कहा कि मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है, और कोई भी एजेंसी मजदूरों को खतरे में डालकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। अदालत ने दिल्ली की सभी नागरिक एजेंसियों को चेतावनी देते हुए निर्देश दिया कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को हर हाल में रोका जाए।

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PWD की लापरवाही उजागर

यह जानकारी अमिकस क्यूरी परमेश्वर ने कोर्ट को दी। उन्होंने बताया कि यह घटना सुप्रीम कोर्ट के गेट F के बाहर हुई, जबकि कोर्ट देशभर में मैनुअल स्कैवेंजिंग से होने वाली मौतों की निगरानी कर रहा है। परमेश्वर ने दिल्ली में अन्य जगहों पर भी ऐसी लापरवाहियों का जिक्र किया। कोर्ट ने पाया कि यह काम PWD ने एक ठेकेदार को सौंपा था, लेकिन उसकी लापरवाही पर न तो कोई नोटिस जारी किया गया और न ही उसे ब्लैकलिस्ट किया गया। इस पर बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा: “ऐसा लगता है कि अधिकारी जानबूझकर टालमटोल कर रहे हैं।”

FIR दर्ज करने की चेतावनी

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने साफ चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से कोई हादसा होता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सीधे FIR दर्ज की जाएगी। कोर्ट ने कहा: “यह आदेश सिर्फ PWD के लिए नहीं, बल्कि सभी संबंधित अधिकारियों के लिए है। नींद से जागें और हमारे निर्देशों का पालन करें।”

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नए नियम, सख्त निर्देश

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने तत्काल नए निर्देश जारी करते हुए कहा कि अब कोई भी मजदूर बिना सुरक्षा गियर के नाले में नहीं उतरेगा। अदालत ने आदेश दिया कि PWD को 4 हफ्तों के भीतर 5 लाख रुपये राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NSKFDC) में जमा करने होंगे।

दिल्ली में त्रासदी का ताजा जख्म

यह आदेश ठीक एक दिन बाद आया, जब उत्तर-पश्चिम दिल्ली के अशोक नगर में एक दर्दनाक हादसा हुआ। यहां एक 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर की सीवर में बिना सुरक्षा उपकरण उतारने से मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने मजदूरों की सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए। कोर्ट ने अब इस मामले को 15 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया है। उस दिन यह तय होगा कि बढ़ा हुआ मुआवजा उन परिवारों को भी मिलेगा या नहीं, जिनके सदस्य इस फैसले से पहले मारे गए थे।

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