अखिलेश बिल्लौरे, हरदा। God Idol Emerge From Tree Roots: अब तक आपने जमीन या नदियों से मूर्तियां निकलते हुए सुना होगा। लेकिन आपने किसी पेड़ से इस तरह के चमत्कार होते हुए नहीं देखा होगा। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मध्य प्रदेश के हरदा में एक अनोखा पेड़ है, जिसकी जड़ों से मूर्तियां निकलती है।

अब तक निकल चुकी 25 मूर्तियां

जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर पर सोडलपुर गांव को संतों की नगरी के नाम से भी जाना भी जाता है। क्योंकि यहां पर गुरु कन्हा बाबा की समाधि स्थल भी है, जो बहुत ही विश्वसनीय है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां पर एक पेड़ मौजूद है जिसकी जड़ों से अब तक करीब 23-25 से मूर्तियां निकल चुकी है। जिसमें कई मूर्तियां खंडित ( टूटी-फूटी) भी जड़ों से निकलती है। इसी कारण यह एकमात्र मंदिर है, जहां पर खंडित मूर्तियों को भी लोगों के द्वारा पूजा जाता है।  

ग्रामीण भाषा में फेपर का पेड़ कहते हैं

ग्रामीणों ने लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) को बताया कि जब से उनका जन्म हुआ है, उन्होंने तब से आज तक हर साल मूर्तियां निकलते हुए देखा है। वैसे इस पेड़ को ग्रामीण भाषा में फेपर का पेड़ कहते हैं। जो बड़ा विशालकाय और पुराना माना जाता है। इस पेड़ की जड़ों से मूर्तियां अपने आप निकलती है या फंसी हुई दिखाई देती है।

लगातार मूर्तियां निकलने पर मंदिर बनाकर की स्थापना

ऐसा कई सालों से लगातार होते हुए देखा तो सब लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया और इस पेड़ के नीचे सभी मूर्तियों को स्थापित कर दिया। ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर हर प्रकार की मन्नतें पूरी होती हैं और यह मंदिर अब शीतला माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिसमें नवरात्र के समय बड़े उत्सव के साथ लोग नवरात्र पर्व मनाते हैं।

पेड़ के पास ही मौजूद है सबसे पुरानी कुइली

इस पेड़ के पास प्राचीन समय से ही कुइली यानी (छोटा कुआं) है। इसके बारे में यह कहा जाता है कि इसमें सबसे मीठा पानी पाया जाता है। साथ ही पूरे गांव में हर नलकूप में खारा पानी आता है, लेकिन इस छोटे से कुएं में केवल मीठा पानी आता है। जिसके कारण लोग पहले के समय में यहां से गाड़ी और बैल के जरिए पानी लेकर जाते थे। कुछ लोग तो शिवालयों में जल अर्पित करने के लिए यहां से पानी लेकर शिवालय में भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते थे।

क्या है इसका इतिहास?

ग्रामीण बताते हैं कि बुजुर्गों के मुताबिक लगभग 500 से 600 साल पहले जब मुगलों का शासन रहा, तब किसी मूर्तिकार ने इन मूर्तियों को इस जगह पर दफन कर दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि मुगल उस समय मंदिरों को लूटने, तोड़ने और मूर्तियों को खंडित करने का काम करते थे। जिसके डर से मूर्तिकार ने उन सभी मूर्तियों को इस जगह पर दफना दिया था और कुछ समय बाद वहां पर यह पेड़ लग गया। अब जब समय परिवर्तन हुआ, तब इस विशाल पेड़ की जड़ों से मूर्तियां निकल रही हैं। 

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