Ashwin Month Karela Restriction: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा के बाद जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है, तो अश्विन माह का आरंभ होता है. यह महीना इस बार 8 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक रहेगा. परंपराओं के अनुसार इस पूरे महीने में करेला खाने की मनाही रहती है. लोकमान्यता के अनुसार करेला, जो स्वाद में कटु और कड़वा होता है, अश्विन माह में अशुभ फल देता है. मान्यता है कि इस समय किया गया करेले का सेवन साधक के मन को विचलित करता है और मां दुर्गा या भगवान विष्णु की भक्ति में बाधा पहुंचा सकता है. पुराणों में उल्लेख है कि करेला ग्रह दोषों को बढ़ाकर साधना और व्रत-उपवास के शुभ फल में रुकावट पैदा करता है.

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Ashwin Month Karela Restriction
Ashwin Month Karela Restriction

मानसिक अशांति को बढ़ाता है (Ashwin Month Karela Restriction)

ग्रामीण समाज में आज भी यह विश्वास है कि अश्विन माह में करेला खाने से घर में कलह, मानसिक अशांति और रोगों की संभावना बढ़ जाती है. इसी कारण यह परंपरा बन गई कि क्वांर माह के पूरे समय करेला नहीं खाया जाता और लोग सात्विक आहार पर जोर देते हैं.

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पौराणिक कथा के अनुसार (Ashwin Month Karela Restriction)

एक बार असुरों ने देवताओं पर विजय पाने के लिए कटु आहार और तप का सहारा लिया था. उनके इस आहार का प्रतीक करेला माना गया. तभी से यह विश्वास बन गया कि अश्विन माह में करेले का सेवन करने से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं बढ़ सकती हैं. इसलिए साधकों ने इसे वर्जित कर दिया और सात्विक भोजन को प्रधानता दी.

चिकित्सा विज्ञान में ये लाभकारी (Ashwin Month Karela Restriction)

आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान करेला को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताते हैं, पर धार्मिक मान्यताएं आज भी करोड़ों लोगों की आस्था और जीवनशैली को गहराई से प्रभावित करती हैं. यही वजह है कि अश्विन माह शुरू होते ही घर-घर में करेले का त्याग कर परंपरा निभाई जाती है.

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