Dunith Wellalage: खेल का मैदान अक्सर खिलाड़ियों के लिए गौरव और सम्मान का प्रतीक होता है, लेकिन कभी-कभी यही मैदान उन्हें व्यक्तिगत दुख और अपनों से बिछड़ने का सामना करने के लिए मजबूर कर देता है। एशिया कप 2025 में श्रीलंका टीम के ऑलराउंडर खिलाड़ी दुनिथ वेल्लालागे का मामला इसका ताज़ा उदाहरण है।

एशिया कप 2025 में अफगानिस्तान के खिलाफ ग्रुप स्टेज मुकाबले के तुरंत बाद वेल्लालागे को अपने पिता के निधन की दुखद खबर मिली। यह जानकारी उन्हें श्रीलंका टीम के हेड कोच सनथ जयसूर्या ने दी। टीम के अहम मैच विनर खिलाड़ी वेल्लालागे इस दुखद घटना के बाद तुरंत अपने देश लौट गए थे, लेकिन अब वह वापिस लौट आए है।
श्रीलंका क्रिकेट ने पुष्टि की है कि वह शनिवार शाम को दुबई में बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले सुपर फोर राउंड के पहले मैच के लिए चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे। टीम मैनेजर महिंदा हलंगोडे भी उनके साथ श्रीलंका से यूएई वापस आए हैं।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब किसी खिलाड़ी को देश के लिए खेलते समय अपनों के बिछड़ने का गम सहना पड़ा। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं, जिनमें खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत दर्द के बावजूद खेल के प्रति समर्पण दिखाया।
1. सचिन तेंदुलकर – पिता के निधन के बावजूद वर्ल्ड कप के लिए लौटे

साल 1999 में इंग्लैंड में आयोजित वनडे वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को उनके पिता के निधन की खबर मिली। सचिन को अंतिम संस्कार के लिए तत्काल भारत लौटना पड़ा। हालांकि, उन्होंने बाद में वर्ल्ड कप के बाकी मैचों में खेलने के लिए वापस इंग्लैंड का रुख किया। जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच मिस करने के बावजूद सचिन ने केन्या के खिलाफ खेलते हुए 140 रनों की पारी खेली और इसे अपने पिता को समर्पित किया।
2. राशिद खान – मां के निधन के बावजूद टीम के लिए बने

अफगानिस्तान टीम के तेज गेंदबाज राशिद खान को 2018 में ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग खेलते समय अपनी मां के निधन की खबर मिली। इस मुश्किल घड़ी में राशिद ने टीम के प्रति समर्पण दिखाते हुए वापस अफगानिस्तान लौटने के बजाय मैच खेलने का फैसला किया। उनकी यह दृढ़ता और साहस कई खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन गई।
3. मोहम्मद सिराज – पिता के निधन के बावजूद टेस्ट डेब्यू

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत में ही पिता के निधन की खबर मिली। 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सिराज ने व्यक्तिगत दुख को पीछे रखकर टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया। ब्रिस्बेन के गाबा स्टेडियम में मिली टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत में उनकी गेंदबाजी निर्णायक साबित हुई।
4. विराट कोहली – पिता के निधन की खबर के बाद खेला मुकाबला
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और वर्ल्ड क्रिकेट के महान बल्लेबाज विराट कोहली के लिए भी निजी दुख खेल के दौरान सामने आया। साल 2006 में दिल्ली की टीम से कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले के दौरान कोहली के पिता का निधन हो गया। उस दिन कोहली 40 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे। अगले दिन खेलते हुए उन्होंने बेहतरीन 90 रनों की पारी खेलकर अपनी टीम को फॉलोऑन से बचाया और फिर अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ी न केवल अपनी टीम के लिए लड़ते हैं, बल्कि व्यक्तिगत दुख और अपनों की कमी को भी साहसपूर्वक सहते हैं। सचिन, विराट, वेल्लालागे और अन्य खिलाड़ियों की यह कहानी खेल के प्रति समर्पण, आत्मसंयम और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
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