यह कहानी पंजाब की उन सड़कों की, जहाँ कभी डर और अनिश्चितता का राज था। हर रोज़ अख़बार की सुर्खियां किसी न किसी सड़क हादसे की दर्द भरी दास्तान सुनाती थीं। यहाँ की सड़कों पर बढ़ रही दुर्घटनाएं एक गहरी चिंता का विषय बन गई थीं। हर रोज़ औसतन 15 से 16 बेशकीमती जानें सड़क हादसों में चली जाती थीं। इन मौतों का आँकड़ा केवल एक संख्या नहीं, बल्कि कई परिवारों के सपनों का टूटना, एक माँ की सूनी गोद, और एक बच्चे के सिर से बाप का साया उठना था। इस दर्द को महसूस करते हुए, पंजाब की भगवंत मान सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया। उन्होंने सिर्फ़ घोषणाएं नहीं कीं, बल्कि ज़मीन पर काम करके दिखाया।
इस दिशा में दो बड़े और महत्वपूर्ण हथियार चलाए गए
सड़क सुरक्षा फ़ोर्स (SSF) और ‘फरिश्ते’ स्कीम। ये दोनों योजनाएँ एक-दूसरे का हाथ थामकर पंजाब की सड़कों को सुरक्षित बनाने का संकल्प लिए हुए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने इस समस्या को सिर्फ़ एक सरकारी प्रोजेक्ट की तरह नहीं देखा। उन्होंने इसे एक परिवार की तरह समझा। और इस समस्या से लड़ने के लिए दो ऐसे हथियार दिए, जो सिर्फ़ लोहे और काग़ज़ के नहीं, बल्कि विश्वास और इंसानियत के बने थे।
मान सरकार ने पंजाब को देश का पहला ऐसा राज्य बना दिया है, जिसने सड़कों की सुरक्षा के लिए एक समर्पित फोर्स का गठन किया है। साल 2024 में मान सरकार द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी। तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक साल से भी कम समय में इतना बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आज पंजाब के 4100 किलोमीटर लंबी सड़कों पर हर 30 किलोमीटर पर SSF की टीमें तैनात हैं | 116 टोयोटा हिलक्स और 28 इंटरसेप्टर स्कॉर्पियो जैसे कुल 144 हाईटेक वाहनों से लैस ये टीमें हादसे की खबर मिलते ही 5 से 7 मिनट के अंदर वहां पहुंच जाती हैं। 1477 जवानों की एक ऐसी टीम बनाई है जिसका मुख्य काम सड़क हादसों को रोकना। अगर कोई हादसा होता है, तो SSF की टीम का काम तुरंत मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाना है। इससे कई लोगों की जान बचाई जा चुकी है। यह फोर्स ट्रैफिक नियमों का पालन करवाती है और ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है। SSF सिर्फ सड़क सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नशे की तस्करी, चोरी और अन्य आपराधिक मामलों में भी पुलिस की मदद करती है।

यह फोर्स पूरी तरह से टेक्नोलॉजी से जुड़ी हुई है, स्पीड गन, बॉडी कैमरा, ई-चालान सिस्टम, मोबाइल डेटा, AI तकनीक, सब कुछ इस्तेमाल हो रहा है ताकि पुलिसिंग स्मार्ट हो, तेज़ हो, और पारदर्शी हो। यही है ‘नई सोच वाला नया पंजाब’, जहां अब हर सरकारी सिस्टम जनता की सेवा में खड़ा है। सबसे ज़्यादा गर्व की बात तो ये है कि 2024 में SSF के तैनात इलाकों में स्कूल जाते हुए या लौटते किसी भी बच्चे की मौत सड़क हादसे में नहीं हुई। अब तक एसएसएफ की मदद से लगभग 37110 जिंदगियां बचाई गई | फरवरी-अक्टूबर 2024 में लगभग 768 लोगों की जान बचाई गई | फरवरी-अक्टूबर 2023 की तुलना में फरवरी-अक्टूबर 2024 में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 45.55% गिरावट आई है | फरवरी -अप्रैल 2019 से लेकर फरवरी-अप्रैल 2022 तक के सड़क दुर्घटनाओं के आकंड़ो पर ध्यान दे तो उनके मुकाबले सड़क दुर्घटनाओं में 1 फ़रवरी से 30 अप्रैल 2024 तक 78% गिरावट आई थी , जो की 2024 का सबसे कम आंकड़ा है यह सब मान सरकार द्वारा स्थापित की गयी सड़क सुरक्षा फ़ोर्स का कमाल है |
पंजाब सरकार द्वारा चलाई गयी SSF ने यहाँ सड़क हादसों को होने से रोका वहीं दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने 2024 में “फरिश्ते” योजना शुरू की थी | सड़क पर सबसे दुखद बात यह होती थी की जब कोई घायल सड़क पर तड़पता था और लोग मदद करने से डरते थे। डर था पुलिस के चक्कर का, कानूनी उलझनों का। जिस कारण घायल अपनी जिंदगी से हार जाता था तो मान सरकार ने इस डर को ख़त्म करने के लिए एक दिल छू लेने वाली स्कीम शुरू की जिसे ‘फरिश्ते’ स्कीम का नाम दिया गया | इस योजना का मकसद सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों की जान बचाना है। इस योजना के तहत, अगर किसी का सड़क दुर्घटना में एक्सीडेंट हो जाता है, तो उसे तुरंत अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा। पहले यह मुफ्त इलाज सिर्फ 48 घंटे के लिए था, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ा दिया है। अब घायल व्यक्ति का पूरा इलाज, जब तक वह ठीक नहीं हो जाता, मुफ्त में होगा। जो भी इंसान किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है, उसे सरकार ‘फरिश्ता’ कहती है। ऐसे ‘फरिश्तों’ को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार उन्हें 2,000 रुपये का नकद इनाम और एक प्रशंसा सर्टिफिकेट भी देती है। सबसे अच्छी बात यह है कि मदद करने वाले व्यक्ति से पुलिस या अस्पताल में कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। इससे लोग डरेंगे नहीं और ज्यादा से ज्यादा लोग मदद के लिए आगे आएंगे। इस तरह SSF और ‘फरिश्ते’ स्कीम दोनों मिलकर एक complete सुरक्षा चक्र बनाते हैं।
यह मान सरकार का हर पंजाबी के लिए दिया गया प्यार और विश्वास है। SSF हमें सुरक्षा का एहसास दिलाती है तो ‘फरिश्ते’ स्कीम हमें याद दिलाती है कि हम सब मिलकर इस समाज को बेहतर बना सकते हैं। पंजाब में अब सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां सिर्फ़ मंज़िल तक नहीं जातीं, बल्कि सुरक्षा और इंसानियत के संदेश को भी साथ लेकर चलती हैं। यह कहानी है उस बदलाव की, जहाँ दिल से लिए गए फ़ैसलों ने हज़ारों घायल जिंदगियों को तुरंत फ़र्स्ट एड देकर अस्पताल तक पहुंचाया और उनको ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को भी एक नई ज़िंदगी दी है। मान सरकार ने इस फोर्स में पंजाब की बेटियों को भी आगे किया है। 287 महिलाएं आज SSF का हिस्सा हैं, ये सिर्फ नौकरी नहीं, भरोसे की ड्यूटी भी निभा रही हैं। यह दिखाता है कि सरकार सिर्फ बातें नहीं करती,असली बदलाव करती है। यही असली सशक्तिकरण है, यही असली पंजाबियत है।
मान सरकार ने पंजाब में यह साबित कर दिया है कि सरकार सिर्फ नियम बनाने के लिए नहीं होती, बल्कि लोगों के जीवन की परवाह करने के लिए भी होती है। SSF और फरिश्ते स्कीम, पंजाब की सड़कों पर एक नई सुबह लेकर आए हैं। SSF दुर्घटनाओं को होने से पहले रोकती है और फरिश्ते स्कीम दुर्घटना के बाद ज़िंदगी को बचाती है। ये दोनों योजनाएँ मिलकर पंजाब को एक ऐसा राज्य बना रही हैं, जहाँ सड़कों पर मौत का डर नहीं, बल्कि सुरक्षा का एहसास होता है। यह सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है, जो लोगों को जागरूक कर रही है, उन्हें ज़िम्मेदारी सिखा रही है और इंसानियत के इस सफर में ‘फरिश्ता’ बनने के लिए प्रेरित कर रही है। पंजाब सरकार की यह पहल वाकई सराहनीय है | ये दोनों योजनाएँ सिर्फ़ सरकारी काम नहीं हैं। ये हमारी ज़िंदगी से जुड़ी भावनाएं हैं। एक तरफ़ SSF हमें ‘सुरक्षा’ देती है और दूसरी तरफ़ ‘फरिश्ते’ स्कीम हमें एक-दूसरे से ‘प्यार’ और ‘विश्वास’ का रिश्ता बनाना सिखाती है। मान सरकार ने पंजाब की सड़कों पर मौत का डर कम करके, ज़िंदगी को गले लगाना सिखाया है।
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