कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट ने राज्य शासन के अधिकारियों पर गंभीर टिप्पणी करते हुए भूमि अधिग्रहण मामले में राज्य शासन की अपील को खारिज किया है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि शीर्ष अधिकारी अपने हितों के विपरीत आचरण को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्य को इसके लिए हानि उठानी पड़ रही है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को अधीनस्थ अधिकारियों के इस रवैये पर विचार करने के लिए कहा है।

 दरअसल यह मामला जल संसाधन विभाग का है। जहां डबरा संभाग के अंतर्गत हरसी हाई लेवल नहर के लिए जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है। इस मामले में एक किसान ने मुआवजे के खिलाफ अतिरिक्त सत्र न्यायालय में दावा लगाया था। किसान को बढ़ा हुआ मुआवजा मिला। जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने 2022 में पहली अपील दायर की थी। 

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हालांकि रिकॉर्ड में स्पष्ट हुआ की विधि विभाग से अनुमति मिलने के बाद भी अधिकारियों ने महीनों तक फाइल दबाए रखी और जानबूझकर समय सीमा बीत जाने दी। इस पर हाईकोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने यह फैसला उर्वा निवासी रमेश कल्लू और ओमप्रकाश के खिलाफ दायर अपील में दिया है।

खास बात यह है कि इस मामले में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। अदालत ने शासन से पूछा था कि क्या जानबूझकर समयबद्ध अपील न करने की प्रवृत्ति विकसित की जा रही है। इसके जवाब में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा का हालफनामा पेश किया गया। जिसमें तीन कार्यपालन यांत्रियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई। हालांकि अदालत ने इसे केवल औपचारिकता करार दिया और कहा कि उच्च अधिकारी अभी भी ढिलाई बरत रहे हैं।

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