हरीशचंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। नर्मदा तट की पावन नगरी ओंकारेश्वर में सर्वपितृ मोक्ष भूतड़ी अमावस्या पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। घाटों पर तांत्रिक क्रियाएं और धार्मिक अनुष्ठान हुआ। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि लोक-परंपराओं का लोकतांत्रिक उत्सव भी है।

ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर श्रद्धालुओं की आस्था का अद्भुत नजारा घाटों पर देखने को मिला। जहां हजारों श्रद्धालु जुटे और तांत्रिक क्रियाओं का दौर चलता रहा। मालवा और निमाड़ अंचल से लेकर शाजापुर, देवास, उज्जैन, इंदौर, खंडवा और खरगोन तक से आए श्रद्धालु बसों, कारों और ट्रैक्टरों में सवार होकर ओंकारेश्वर पहुंचे।

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घाटों पर देसी तांत्रिक-बड़वा और भोपा-ढोल-नगाड़ों, तलवारों और जंजीरों के साथ पहुंचे और श्रद्धालुओं की बाधाओं को दूर करने की परंपरागत क्रियाएं को अंजाम दिया और पितृ तर्पण का दौर भी चलता रहा।

ओंकारेश्वर का यह पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान का अवसर है, बल्कि आस्था, विश्वास और सामूहिकता का संदेश भी देता है। अमीर-गरीब, जाति-पांति, भाषा-क्षेत्र की सीमाओं से परे हर कोई यहां एक साथ अपनी श्रद्धा अर्पित करता है। ओंकारेश्वर की धरती पर यह अनोखा पर्व सचमुच आस्था का लोकतांत्रिक उत्सव है। लाखों श्रद्धालु यहां नर्मदा स्नान और पितृ तर्पण कर अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं।

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