देहरादून. पूर्व सीएम हरीश रावत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के H1-B वीजा शुल्क (H1-B Visa Fees) बढ़ाने पर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा है कि ‘वाह, प्यारे दोस्त 50 प्रतिशत हमारे निर्यात पर टैरिफ लगाना शायद पर्याप्त नहीं था. अब आपने H1-B वीजा शुल्क बढ़ाकर हमारे नौजवानों के लिए अमेरिका का रास्ता बंद कर दिया. रास्ता बंद करते वक्त आप यह भूल गए आज की समृद्ध और तकनीकी रूप से अमेरिका को सक्षम बनाने में भारत के ही दक्ष नौजवानों का योगदान है. हां, इतना अवश्य है कि टैरिफ, टैरिफ के बाद अब H1-B वीजा शुल्क बढ़ाना, हमारे राजनयिक कुशलता पर जरूर सवाल खड़ा कर रहा है?’

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुक्रवार (स्थानीय समय) को एक घोषणा की थी. कुछ गैर-अप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध’ शीर्षक से जारी इस आदेश में H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलाव किए गए थे. इसके तहत अब H-1B वीजा के लिए आवेदन करने पर 1 लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाया गया है, जो 21 सितंबर से लागू हो गया है. अमेरिका में काम करने वाले बाहरी देशों के नागरिकों को H-1B वीजा लेना पड़ता है. इस वीजा का वर्तमान शुल्क लगभग 1,000 से 5,000 डॉलर के बीच था, लेकिन ट्रंप सरकार ने इसे बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है. इस फैसले के बाद कई अमेरिकी कंपनियों के लिए अपने यहां विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

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USCIS (अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 तक सभी H-1B वीजा धारकों में से 71% से ज्यादा भारतीय मूल के हैं. इस दौरान कुल 2,83,397 लोगों को H-1B वीजा स्वीकृत हुआ, जिनमें से सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की थी. इसके बाद चीनी मूल के लोगों की हिस्सेदारी रही, जो कुल लाभार्थियों का लगभग 12% है. अमेरिकी एजेंसी के नियोक्ता डेटा हब के अनुसार, H-1B वीजा धारकों का बड़ा हिस्सा आईटी सेक्टर से जुड़ा है. इनमें: Amazon में सबसे ज्यादा 10,044 H-1B कर्मचारी कार्यरत हैं. Tata Consultancy Services (TCS), Microsoft और Meta में भी 5,000 से ज्यादा H-1B वीजा धारक काम कर रहे हैं.