अजयारविंद नामदेव, शहडोल। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और योग्य शिक्षकों को सामने लाने के लिए लागू की गई शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अब जिले में बहस का विषय बन गई है। शहडोल में शिक्षकों और अभिभावकों के बीच इस परीक्षा को लेकर मिले-जुले विचार सामने आ रहे हैं। जहां वरिष्ठ शिक्षक इसे अन्यायपूर्ण मान रहे हैं, वहीं युवा पीढ़ी और अभिभावक इसे शिक्षा सुधार की दिशा में अहम कदम बता रहे हैं।

वरिष्ठ शिक्षकों की नाराज़गी

जिले के अनुभवी शिक्षकों का कहना है कि इस परीक्षा को बहुत पहले लागू किया जाना चाहिए था। अब जब वे अपनी सेवा के अंतिम दौर में हैं, तो उन्हें फिर से परीक्षा देना मानसिक और पेशेवर दबाव बढ़ाने वाला कदम है। शहडोल की वरिष्ठ शिक्षिका उषा यादव ने कहा, 20-25 साल की सेवा के बाद इस उम्र में परीक्षा देना कठिन है। यह नई पीढ़ी के लिए ठीक है, लेकिन अनुभवी शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठाना उचित नहीं है। उनका मानना है कि इस परीक्षा का उपयोग पदोन्नति या प्रमोशन में किया जाता तो यह ज्यादा सार्थक होता।

समर्थन में युवा शिक्षक

इसके विपरीत, जिले के युवा शिक्षक इस कदम का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि TET से शिक्षा में पारदर्शिता आएगी और केवल योग्य शिक्षक ही चयनित होंगे। शिक्षिका सीमा सिंह कहती हैं कि आज शिक्षा को लेकर बच्चों और अभिभावकों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। यह परीक्षा प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगी और मेहनती शिक्षक ही आगे आएंगे।

अभिभावकों की राय

अभिभावक भी इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। धनपुरी निवासी राशिद खान का कहना है, ‘हम चाहते हैं कि बच्चों को योग्य शिक्षक मिलें। अगर TET से अयोग्य लोगों की छंटनी होती है तो यह स्वागत योग्य कदम है।’ वहीं बुढ़ार के एक अभिभावक का कहना है कि सालों से सिफारिश और जुगाड़ से भर्ती होने वाले लोगों को यह परीक्षा बाहर का रास्ता दिखाएगी।

शिक्षा पर असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि TET शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अहम साबित हो सकती है। लेकिन इसे देर से लागू करने के कारण विवाद खड़ा हो गया है। वरिष्ठ शिक्षक इसे बोझ मानते हैं, जबकि नई पीढ़ी इसे सुधार की उम्मीद के रूप में देख रही है।

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