पाकिस्तान में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। के मदरसों और विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ मौलवी और अन्य कर्मचारी बेहद घिनौना काम कर रहे हैं। यह हालत देश भर के मदरसों की है। इसके बारे में जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। यह चौंकाने वाली रिपोर्ट खुद पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देशभर के मदरसों और विद्यालयों में बच्चों के साथ यौन शोषण के साथ दुर्व्यवहार और शारीरिक दंड की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं।

बच्चों को लग रहा मदरसा जाने में डर

मौलवी और अन्य कर्मचारी छोटे-छोटे बच्चों और बच्चियों तक को नहीं छोड़ रहे। ऐसे में मदरसे में पढ़ने वाले सभी बच्चे दहशत में हैं। सीनेटर जेहरी ने जोर देकर कहा कि देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह कदम वैध धार्मिक संस्थानों को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि निगरानी, जवाबदेही और पारदर्शिता के ज़रिए दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए उठाया गया है।

की ये मांगें

सीनेटर जेहरी ने मदरसों का उचित पंजीकरण कराने से लेकर वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने, नियमित निरीक्षण और निगरानी, शारीरिक दंड पर पूर्ण प्रतिबंध, बाल संरक्षण पर शिक्षकों को प्रशिक्षण, अभिभावक-शिक्षक सहभागिता को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि अभियोजन में कमी और यौन शोषण करने वाले दोषियों को सजा नहीं देना चिंता का विषय बन गया है। सीनेटर जेहरी ने यह भी रेखांकित किया कि दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की दर अत्यंत कम है।

समिति ने की सख्त कार्रवाई की मांग

पाकिस्तान की संसदीय समिति ने बच्चों के साथ हो रहे यौन शोषण समेत अन्य यातनाओं पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है। समिति ने कहा कि शिक्षा के नाम पर किसी भी बच्चे को पीड़ा नहीं झेलनी चाहिए। ‘डॉन’ अख़बार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यह मुद्दा सीनेट की मानवाधिकारों पर कार्यात्मक समिति की बैठक में उठाया गया, जिसकी अध्यक्षता सीनेटर समीना मुमताज जेहरी ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य पंजाब, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के मदरसों में हो रही गंभीर गड़बड़ियों की समीक्षा करना था।

मदरसों को मुख्यधारा में लाने की मांग

सीनेटर ऐमल वली खान ने कहा कि कई मदरसे अब शैक्षणिक संस्थानों की बजाय राजस्व अर्जित करने वाले प्लेटफ़ॉर्म बन चुके हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए, सख्त कानून बनाकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए, जिला-स्तरीय निगरानी हो, अन्य सदस्यों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए जिला स्तर पर निगरानी तंत्र स्थापित करने और प्रांतों में एकरूप कानून बनाने की सिफारिश की।

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