बिलासपुर. कविता चौपाटी से के आठवें अंक में बिलासपुर शहर के शायर मो.युसूफ बिस्मिल की गज़ल दस्ताने शबे ग़म हमसे सुनाई न गई… बात ही ऐसी थी जो होठों पे लाई न गई…का विमोचन हुआ. रिवर व्यू चौपाटी में हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरुण सखा संपादक दैनिक पत्रिका बिलासपुर रहे. उन्होंने कहा कि साहित्यिक दलवाद के इस युग में बिलासपुर के सभी साहित्यकारों को एक मंच पर लाकर कविता चौपाटी सकारात्मक प्रयास किया है. यह प्रयास अनूठा और नवीन है शहर के बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों को भी इससे जुड़ना चाहिए. उन्होंने भोपाल के अपने साहित्यिक और शैक्षिक अनुभव सबसे साझा किए और अपनी कविता अरपा नदी का पाठ किया.

कार्यक्रम की विशिष्ठ अतिथि उज़्मा अख्तर भूतपूर्व अध्यक्ष छग ऊर्दू अकादमी ने कहा कि ये मेरी खुशनसीबी है कि आज मेरे वालिद की किताब को शहर याद कर रहा है. मेरे वालिद हमेशा कहा करते थे कि कभी पैसे के पीछे मत भागो, अपना शख्सियत और काबिलियत को बढ़ाने में लगे रहो पैसा नाम सब खुद ब खुद आपके पीछे आएगा.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं मशहूर गीतकार और छत्तीसगढ़ी की मशहूर स्तंभकार रश्मि रामेश्वर गुप्ता ने सभी को नवरात्रि की बधाई दी और कहा कि शहर के युवा साहित्यकारों के द्वारा दिवंगत कवियों शायरों को श्रद्धांजलि देने की जो परंपरा प्रारंभ हुई है वह सराहनीय है. कवयित्री किशोरी साहू ने भी अपनी बात साफगोई से रखी.

कार्यक्रम के प्रारंभ में किशोर भुरंगी, गुप्ता जी ने सुमधुर गीत सुनाएँ. शहर के युवा कवि मनोज श्रीवास्तव, प्रियंका शुक्ला ने मां और बेटी पर मार्मिक कविताएं पढ़ी और तालियां बटोरी. शहर के प्रख्यात गज़ल कार केवल कृष्ण पाठक ने अपनी ग़ज़ल से वाहवाही लूटी. कार्यक्रम का कुशल और प्रभावी संचालन शहर के युवा शायर श्रीकुमार श्री ने किया. कवि राजेंद्र मौर्य ने कविता चौपाटी के रूपरेखा बताई और महेश श्रीवास ने आभार प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में डॉ सुधाकर बीबे, सुमित शर्मा, नितेश पाटकर, बालमुकुंद श्रीवास, रामेश्वर गुप्ता, पूर्णिमा तिवारी, विपुल तिवारी, एमडी मानिकपुरी, राजेंद्र गुप्ता, दीपक जैन आदि साहित्यकार और समाजसेवी मौजूद थे.