रायपुर. असली सेवा वहीं मानी जाती है जो बिना स्वार्थ के की जाए. ऐसी सेवा को समाज याद रखता है और सेवा कार्य करने वाले के प्रति श्रद्धा भाव रखता है. स्वामी विवेकानंद इसी भावना से मानव कल्याण का कार्य किया और पूरा जीवन समर्पित कर दिया. आज स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और उनकी दी हुई शिक्षा को अपने जीवन में आत्मसात कर लें और सेवा का कार्य करें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा. यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने विवेकानंद विद्यापीठ, रायपुर द्वारा ‘स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रोत्थान’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में अपने संबोधन में कही. यह व्याख्यान स्वामी आत्मानंद की जयंती पर आयोजित की गई थी.

राज्यपाल ने कहा कि स्वामी आत्मानंद ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को को ग्रहण कर सेवा कार्य किया. उनकी जयंती के अवसर पर मैं उन्हें नमन करती हूं. उन्होंने बस्तर क्षेत्र के नारायणपुर में रामकृष्ण मिशन आश्रम की स्थापना की और उसके माध्यम से अबूझमाड़ क्षेत्र में विभिन्न सेवा का कार्य किए जा रहे हैं. इतने दुरस्थ क्षेत्रों में आश्रम द्वारा किये जा रहे कार्य वाकई सराहनीय है,  इस सेवा कार्य के कारण यह संस्था पूरे विश्व में जानी जाती है.

उइके ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का पूरा जीवन राष्ट्र की आराधना और चिन्तन से ओतप्रोत रहा है. उनके ओजस्वी विचारों एवं संदेशों ने संपूर्ण मानव जाति को विशेषकर युवाओं को अत्यधिक प्रभावित किया और युगों-युगों तक युवाओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का चिंतन, कार्य और आदर्श लोगों को प्रेरित करता है और वर्तमान समय में भी भारत के उत्थान के लिए अत्यंत उपयोगी है.

राज्यपाल ने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा कि मैंने स्वामी विवेकानंद के बारे में अध्ययन किया था. उस समय मैंने समर्पण भाव से सेवा कार्य करने का संकल्प लिया. उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि पढ़ाई समाप्त करने के बाद समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हुई. तब मैंने तामिया जैसे सुदूर आदिवासी क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालय में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया. उस समय वहां पर गिनती के विद्यार्थी थे. उस क्षेत्र के लोगों के बीच काम करके मुझे बड़ा संतोष हुआ और आज मैं विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद का दायित्व संभालने का अवसर मिला.

इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम के सचिव स्वामी सत्यरूपानंद, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के आचार्य अरूण दिवाकर वाजपेयी तथा विवेकानंद विद्यापीठ के सचिव ओमप्रकाश वर्मा ने भी अपना संबोधन दिया.