घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक और ओम जैसे शुभ चिह्न बनाना हमारी सदियों पुरानी परंपरा है. यह सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित करने का एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीका भी है. स्वास्तिक को हर दिशा से शुभता लाने वाला माना जाता है, जबकि ओम ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है.

क्यों है स्वास्तिक और ओम बनाना शुभ?

मुख्य द्वार पर इन चिह्नों को बनाने के कई लाभ हैं. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है. ये चिह्न घर में बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश करने से रोकते हैं, जिससे घर में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है. इन चिह्नों को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है, जिससे घर में धन, समृद्धि और सौभाग्य का निवास होता है. स्वास्तिक और ओम दोनों ही वास्तु दोषों को दूर कर घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाते हैं.गृह प्रवेश, त्यौहार या किसी भी नए काम की शुरुआत पर इन्हें दरवाजे पर बनाना बेहद शुभ माना जाता है.

कब और कैसे बदलें ये शुभ चिह्न?

1. अगर आपने स्वास्तिक या ओम को हल्दी, कुमकुम या चंदन से बनाया है और वे बारिश या सफाई की वजह से फीके पड़ गए हैं, तो उन्हें तुरंत फिर से बना देना चाहिए.

2. हर बड़े त्योहार, जैसे दीपावली, होली, या नव वर्ष पर इन चिह्नों को नया करना चाहिए ताकि घर में हमेशा शुभ ऊर्जा बनी रहे.

3. विशेषज्ञों के अनुसार, साल में कम से कम एक बार इन चिह्नों को फिर से बनाना चाहिए, खासकर अगर वे स्पष्ट न दिखें या मिट गए हों. इससे घर की ऊर्जा सक्रिय बनी रहती है.