अजयारविंद नामदेव, शहडोल। शहडोल के शासकीय कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाज के नाम पर पैसों की मांग की शिकायतों के बीच अब अस्पताल प्रबंधन ने एक नया तरीका अपनाया है। मरीज का इलाज शुरू करने से पहले उनसे इलाज पर्चे के पीछे यह लिखवाया जा रहा है कि इलाज के लिए कोई पैसा नहीं लिया जा रहा। इस अजीबोगरीब कदम का पर्चा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
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बताया जा रहा है कि लंबे समय से जिला अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों से खुलेआम इलाज के नाम पर अवैध वसूली की खबरें सामने आती रही हैं। ऐसे में अपनी छवि बचाने और खुद को पाक-साफ दिखाने के फेर में अब डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ मरीज से पहले लिखवाते हैं कि इलाज के बदले किसी प्रकार की राशि नहीं ली जा रही, इसके बाद ही मरीज का इलाज शुरू किया जाता है।
मरीज और उनके परिजन इस व्यवस्था को लेकर दोहरी परेशानी झेल रहे हैं। एक ओर उन्हें यह लिखकर देना पड़ता है कि पैसा नहीं लिया जा रहा, जबकि हकीकत में आए दिन पैसों की मांग की शिकायतें सामने आ रही हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यदि अस्पताल प्रबंधन वास्तव में ईमानदार है, तो उसे ऐसी लिखित औपचारिकता की बजाय पारदर्शी और सख्त निगरानी व्यवस्था लागू करनी चाहिए।
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फिलहाल वायरल पर्चे ने जिला अस्पताल प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर मरीजों से ऐसा लिखवाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह तरीका भ्रष्टाचार को ढकने की नई चाल है, या वाकई अस्पताल अब पारदर्शिता की ओर बढ़ रहा है। वहीं इस मामले में सिविल सर्जन डॉ शिल्पी सराफ का कहना है कि पूर्व में परिहार जी के समय में ये लागू हुआ था, अब यदि फिर से ऐसा हो रहा तो दिखवाते है।

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