शिवम मिश्रा, रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका रायपुर जिला न्यायालय में खारिज कर दी गई है। इससे पहले बिलासपुर उच्च न्यायालय में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी।
चैतन्य बघेल ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका जिला न्यायालय में दायर की थी। मामले की प्रारंभिक सुनवाई 19 सितंबर को निर्धारित थी, लेकिन सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाकर 22 सितंबर 2025 को तय किया गया था। अदालत ने सुनवाई के बाद चैतन्य की जमानत याचिका खारिज कर दी।
गौरतलब है कि न्यायालय के इस फैसले के बाद अब EOW (आर्थिक अपराध शाखा) चैतन्य बघेल को गिरफ्तार करने के लिए आगे बढ़ सकती है। ईओडब्ल्यू ने पहले ही चैतन्य की गिरफ्तारी के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया हुआ है। जमानत खारिज होने के बाद प्रोडक्शन वारंट पर अगली सुनवाई के जरिए आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, चैतन्य बघेल ने ईओडब्ल्यू की गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने उनके पक्ष में राहत देने से इंकार कर दिया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब कानूनी प्रक्रिया के तहत चैतन्य की गिरफ्तारी पर जोर दिया जाएगा।
इस मामले में ईओडब्ल्यू की टीम आगामी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है और मामले की सुनवाई एवं जांच जारी रखने में सक्रिय है। यह मामला छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और कानूनी हलचल का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार का सीधा जुड़ाव है।
ED ने चैतन्य बघेल को जन्मदिन के दिन किया था गिरफ्तार
ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन पर 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपए की अवैध कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई।
चैतन्य को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये नगद मिले
ईडी की जांच में पता चला है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले के 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट फर्मों में किया है। इस पैसे का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया, जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया।
पहले से गिरफ्त में हैं कई बड़े चेहरे
ईडी ने शराब घोटाला मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है। फिलहाल, मामले में आगे की जांच जारी है।
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