Supreme Court Reprimanded High Court Judges: एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों की कार्यक्षमता पर सवाल उठाया है। देश के शीर्ष न्यायालय ने देश के कुछ हाईकोर्ट के जजों की काम पूरा करने में असमर्थता पर नाराजगी जताई है और परफोर्मेंस इवेल्यूएशन की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई जज एक दिन में क्रिमिनल केस पर सुनवाई कर रहा है तो उससे 50 मामलों में फैसला करने की उम्मीद नहीं कर सकते। हालांकि अगर कोई जज कहता है कि वह एक दिन में सिर्फ एक ही जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा तो उन्हें अपना आकलन करने की जरूरत है। शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

दरअसल जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई की जो आजीवन कारावास और मृत्युदंड पाए कुछ दोषियों ने दाखिल की थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड हाईकोर्ट ने सालों तक फैसा सुरक्षित रखने के बावजूद, उनकी आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया है। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने उनके मामले में फैसला सुनाया और कई दोषियों को बरी कर दिया।

इस पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट्स के लिए स्कूल प्रिंसिल की तरह काम नहीं करना चाहता है, लेकिन उनकी मेज पर फाइलों के ढेर न लगे, यह सुनिश्चित करने के लिए एक सेल्फ-मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे भी जज हैं जो दिन-रात काम करते हैं और मामलों का शानदार निस्तारण कर रहे हैं, लेकिन कुछ जज ऐसे भी हैं जो दुर्भाग्यवश काम पूरा कर पाने में असमर्थ है। कारण चाहे जो भी हो, अच्छे या बुरे, हम नहीं जानते और शायद कुछ परिस्थितियां भी हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट उदाहरण देकर लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि एक जज किसी आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रहा है, तो हम उससे एक दिन में 50 मामलों पर फैसला करने की उम्मीद नहीं करते हैं। एक दिन में एक आपराधिक अपील पर फैसला करना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जमानत के मामले में, अगर कोई जज कहता है कि मैं एक दिन में सिर्फ एक जमानत याचिका पर ही फैसला करूंगा, तो यह ऐसी बात है जिसके लिए सेल्फ इवैल्यूएशन करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा इरादा किसी स्कूल के प्रिंसिपल की तरह काम करने का नहीं है और व्यापक दिशानिर्देश होने चाहिए, ताकि जजों को पता हो कि उनके पास क्या काम है और उन्हें कितना काम करना है। न्यायपालिका से आम जनता की एक जायज उम्मीद है।

हाईकोर्ट्स को दो हफ्ते के भीतर आंकड़ें दाखिल करने को कहा

मामले में पेश हुईं एडवोकेट फौजिया शकील ने विभिन्न उच्च न्यायालयों की ओर से दिए गए फैसलों की स्थिति पर एक चार्ट पेश किया और इस बात पर जोर दिया कि कुछ हाईकोर्ट्स ने निर्धारित प्रारूप में आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं। बेंच ने उनसे उन हाईकोर्ट्स के आंकड़े दो हफ्ते के भीतर दाखिल करने को कहा, जहां मामले सुरक्षित रखे गए थे। साथ ही, फैसलों की घोषणा की तारीख और इन्हें अपलोड करने की तारीख भी अपलोड करने का निर्देश दिया।

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