निमेश तिवारी बागबाहरा। हमारे देश में चमत्कारों और आध्यात्मिक शक्तियों की वजह से कई मंदिर प्रसिद्ध हैं लेकिन हम आपको एकर ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां इंसान ही नहीं बल्कि जानबर भी माता रानी के दरबार में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. जी हां हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर जंगल के बीचों-बीच मां चंडी देवी का भव्य मंदिर हैं. इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ जंगली भालुओं का पूरा परिवार दर्शन के लिए पहुंचता है. माता के दरबार में पहुंचने वाले भालूओँ को लोग देखते हैं तो सबकी सांसें थम जाती हैं.
बागबाहरा तहसील मुख्यालय से मात्र 4 किलो.मी. दूर गांव घॅंचापाली के जंगल के बीच माता चण्डी पहाड़ी श्रृंखला पर एक भव्य मंदिर में विराजमान है. इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊॅची मं चण्डी देवी की अद्भूत मूर्ति है. दक्षिणमुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ एवं तंत्र साधना के लिये प्रसिद्ध है. प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगने वाले इस मंदिर में लगभग पिछले छः-सात साल से भालूओं का एक परिवार रोजाना माता के दरबार में आरती के समय पहुंचता हैं. कभी इनकी संख्या पांच तो कभी तीन, लेकिन वर्तमान में सात है. अधिकतर शाम 5 बजे से रात 8 बजे के बीच ये भालू मंदिर पहुंचते हैं. सीढ़ियों से चढ़कर मं चण्डी देवी की मूर्ति के पास पहॅंचते है , वहॉ मूर्ति की परिक्रमा करते है , प्रसाद खाते है और वहॉ रखे नारियल को भी फोड़कर खा जाते है , फिर वापस पहाड़ों में लगे जंगलों में गुफाओं में चले जाते है.
चंडी मंदिर समिति घुंचापाली के अध्यक्ष नीलकंठ चंद्राकर ने बताया कि आम दिनों की तुलना में नवरात्रि के समय माता के दरबार में आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में होती है. जिसे देखते हुए मंदिर समिति द्वारा नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था के साथ अनवरत चलने वाले भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.
एसडीओ, वन विभाग एस.एस. नाविक ने बताया कि वन विभाग के द्वारा भालूओं और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए मंदिर के चारों ओर फेसिंग तार लगाया गया है. साथ ही नवरात्र के दिनों में दोपहर 3 बजे से लेकर रात 10 बजे तक वन विभाग के कर्मचारियों के अलावा विशेषज्ञों की ड्यूटी मंदिर में लगाई गई है .हालांकि आब तक यहां भालूओं द्वारा किसी को नुकसान पहुंचाने की कोई भी घटना नहीं हुई है.जिसे दैवी चमत्कार माना जाता है.
माता के दरबार में भालुओं की इस भक्ति को मां की कृपा माना जाता है. वहीं वन्यजीव विशेषज्ञ इसके पीछे जंगलों में भालुओं के लिए खाने की कमी को मुख्य वजह मानते हैं. वजह चाहे जो भी हो बागबाहरा की माता चंडी देवी मंदिर अपने प्रताप और इन भालुओं के चलते प्रसिद्ध है.