पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि इस बार उनकी पार्टी महागठबंधन में जगह न मिलने के बाद अकेले ही मैदान में उतरेगी। ओवैसी मंगलवार को किशनगंज पहुंचने वाले हैं और 27 सितंबर तक सीमांचल में डेरा डालेंगे। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने दौरे की जानकारी दी। उन्होंने लिखा मैं कल किशनगंज पहुंचूंगा और 27 सितंबर तक वहीं रहूंगा। इंशाअल्लाह कई साथियों से मुलाक़ात होगी और कई नई दोस्तियां भी होंगी। सीमांचल की आवाम को हर सरकार ने नजरअंदाज किया है। अब वक्त है एक आजाद सियासी आवाज का। इस पोस्ट से साफ है कि ओवैसी मुसलमान बहुल इलाकों में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहते हैं।
पिछली जीत और महागठबंधन की चिंता
पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। उस वक्त सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को ही हुआ था। आरजेडी इस बार भी ओवैसी को साथ लेने से हिचक रही है क्योंकि उसे डर है कि एआईएमआईएम के मजबूत होने से उसका मुस्लिम वोट बैंक खिसक सकता है।
महागठबंधन में शामिल होने की कोशिशें नाकाम
एआईएमआईएम बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कई बार लालू प्रसाद यादव से अपील की कि उन्हें महागठबंधन में शामिल किया जाए। इसके लिए पत्र लिखा गया धरना-प्रदर्शन किए गए और यहां तक कि समर्थकों के साथ लालू यादव के दरवाजे तक पहुंच गए लेकिन सारी कोशिशें नाकाम रहीं। अब ओवैसी की पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका सीधा असर महागठबंधन के वोट बैंक पर पड़ेगा।
बड़ी रणनीति पर काम
ओवैसी छह दिनों तक सीमांचल में रहकर पार्टी नेताओं के साथ चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। पिछले अनुभव से सीखते हुए वह इस बार और आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में हैं। अब देखना होगा कि ओवैसी इस चुनाव में किसे सबसे बड़ा झटका देते हैं।
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