रायपुर. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में आरोपी बनाए गए 28 अधिकारी आज EOW की विशेष अदालत में पेश हुए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक सभी अधिकारी अग्रिम जमानत के कागजात लेकर कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट में 1-1 लाख रुपए का जमानत पट्टा जमा करने पर सभी को जमानत दे दी गई. बता दें कि सभी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत पहले ही मिल चुकी है.
EOW के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 32 सौ करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ है. इस मामले में आबकारी विभाग से जुड़े 29 अफसरों को ईओडब्ल्यू ने आरोपी बनाया है और उसके खिलाफ चालान पेश किया था. 29 अफसरों में से 7 रिटायर हो चुके हैं. बाकी बचे 22 अधिकारियों को सरकार ने निलंबित कर दिया है. इन पर 2019 से 2023 के बीच 90 करोड़ रुपए की अवैध वसूली करने का आरोप है. हाईकोर्ट से 18 अगस्त को अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर सभी अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी 28 अफसरों को शर्तों के साथ जमानत दे दी थी. आज सभी अग्रिम जमानत के कागजात लेकर EOW की विशेष अदालत में पेश हुए.

EOW ने शराब घोटाले में इन अधिकारियों को बनाया है आरोपी
- जनार्दन कौरव, सहायक जिला आबकारी अधिकारी
- अनिमेष नेताम, उपायुक्त आबकारी
- विजय सेन शर्मा, उपायुक्त आबकारी
- अरविंद कुमार पाटले, उपायुक्त आबकारी
- प्रमोद कुमार नेताम, सहायक आयुक्त आबकारी
- रामकृष्ण मिश्रा, सहायक आयुक्त आबकारी
- विकास कुमार गोस्वामी, सहायक आयुक्त आबकारी
- इकबाल खान, जिला आबकारी अधिकारी
- नितिन खंडुजा, सहायक जिला आबकारी अधिकारी
- नवीन प्रताप सिंह तोमर, सहायक आयुक्त आबकारी
- मंजुश्री कसेर, सहायक आबकारी अधिकारी
- सौरभ बख्शी, सहायक आयुक्त आबकारी
- दिनकर वासनिक, सहायक आयुक्त आबकारी
- मोहित कुमार जायसवाल, जिला आबकारी अधिकारी
- नीतू नोतानी ठाकुर, उपायुक्त आबकारी
- गरीबपाल सिंह दर्दी, जिला आबकारी अधिकारी
- नोहर सिंह ठाकुर, उपायुक्त आबकारी
- सोनल नेताम, सहायक आयुक्त आबकारी
- प्रकाश पाल, सहायक आयुक्त आबकारी
- अलेख राम सिदार, सहायक आयुक्त आबकारी
- आशीष कोसम, सहायक आयुक्त आबकारी
- ए.के. सिंह, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- राजेश जायसवाल, सहायक आयुक्त आबकारी
- जे.आर. मंडावी, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- जी.एस. नुरुटी, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
- देवलाल वैद्य, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- ए.के. अनंत, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- वेदराम लहरे, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
- एल.एल. ध्रुव, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
क्या है बी-पार्ट शराब घोटाला?
वर्ष 2019 से 2023 के बीच राज्य के 15 बड़े जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारी और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा बिना ड्यूटी चुकाई गई देसी शराब (B-Part शराब) की शासकीय दुकानों में समानांतर अवैध बिक्री की गई. बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर चयनित जिलों में अधिक खपत वाली देसी शराब दुकानों को डिस्टलरी से सीधे अतिरिक्त अवैध शराब भेजी जाती थी, जिसे वैध शराब के साथ समानांतर बेचा जाता था.
इस पूरे नेटवर्क में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, आबकारी विभाग के जिला प्रभारी अधिकारी, मंडल व वृत्त प्रभारी, और मैन पावर एजेंसी के अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे. अवैध शराब को “बी-पार्ट शराब” कहा जाता था और इससे अर्जित रकम सीधे सिंडीकेट के पास पहुंचाई जाती थी।
3200 करोड़ का घोटाला, 60 लाख से अधिक पेटियों की बिक्री
EOW/ACB द्वारा अब तक की गई जांच और 200 से अधिक व्यक्तियों के बयान एवं डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर अनुमान है कि लगभग 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री हुई है, जिसकी अनुमानित कीमत 2174 करोड़ रुपये से अधिक है. पहले इस घोटाले का अनुमान 2161 करोड़ रुपये था, लेकिन नवीनतम आंकड़ों के अनुसार घोटाले की कुल राशि 3200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है.
लखमा, चैतन्य, टूटेजा, ढेबर समेत 15 जेल में
इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, सेवानिवृत्त IAS अनिल टूटेजा और होटल व्यवसायी अनवर ढेबर समेत 15 लोग पहले से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. ईओडब्ल्यू की जांच में अब तक कुल 70 लोगों को आरोपित बनाया गया है, जिसमें आठ डिस्टलरी संचालक भी शामिल हैं. अन्य संदिग्धों की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें