प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र कुमार जैन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने सत्येंद्र जैन की 7.44 करोड़ रुपये की बेनामी प्रॉपर्टी को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत की गई है।

आमदनी से ज्यादा बनाई संपत्ति

दरअसल, ईडी की ये जांच सीबीआई द्वारा दर्ज की गई उस एफआईआर पर आधारित है, जो 24 अगस्त 2017 को दर्ज हुई थी। इसमें आरोप था कि मंत्री रहते हुए (फरवरी 2015 से मई 2017 के बीच) सत्येन्द्र जैन ने अपनी आमदनी से कहीं ज्यादा संपत्ति बनाई।

पहले 4.81 करोड़ की प्रॉपर्टी हुई थी जब्त

ईडी ने इससे पहले 31 मार्च 2022 को जैन से जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त की थी और 27 जुलाई 2022 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर अदालत ने संज्ञान भी ले लिया था।

सत्येंद्र जैन के करीबियों ने बैंक में जमा किए करोड़ों रुपये

जांच में सामने आया कि नोटबंदी के तुरंत बाद (नवंबर 2016 में) सत्येन्द्र जैन के करीबी अंकुश जैन और वैभव जैन ने दिल्ली के बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल ब्रांच में 7.44 करोड़ रुपये कैश जमा किए थे। यह पैसा उन्होंने इनकम डिस्क्लोजर स्कीम (IDS) के तहत एडवांस टैक्स के रूप में भरा था।

ऐसे आया सच सामने

उन्होंने दावा किया कि यह पैसा उनकी चार कंपनियों अकिनचन डेवेलपर्स, प्रयास इंफोसोल्यूशंस, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स और इंडो मेटल इम्पेक्स से आया है। लेकिन आयकर विभाग और अदालतों ने माना कि ये कंपनियां असल में सत्येन्द्र जैन की ही हैं और अंकुश-वैभव सिर्फ उनके बेनामी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही इस पर मुहर लगाई और अंकुश-वैभव की सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

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