रायपुर। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी के भीतर जल्द ही एक बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट है। यह बदलाव मंत्रालय से लेकर जिलों में पदस्थ कलेक्टरों तक हो सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ-साथ प्रस्तावित फेरबदल के मसौदे पर सरकार अपनी मुहर लगा देगी। इस हफ्ते के अंत तक राज्य को अपना नया प्रशासनिक मुखिया मिल जाएगा. खबर है कि सरकार नान परफार्मर कलेक्टरों की विदाई करने के मूड में है।

मुख्य सचिव की नियुक्ति कब तक?

एशियन डेवलपमेंट बैंक में पदस्थ विकासशील को जिस तरह से आनन-फानन में वापस बुलाया गया है। इससे यही कहानी बाहर आई कि वह राज्य के अगले मुख्य सचिव होंगे। इस चर्चा के बीच बीते हफ्ते राजधानी में उनकी मौजूदगी की खबर भी उड़ी। यह कहा गया कि विकासशील अचानक राजधानी आए और एक-दो दिन ठहर कर लौट गए। इस दौरान उनकी चंद लोगों से ही मुलाकात हुई। उनके एक बैचमेट ने यह बताया कि मुख्य सचिव बनने की चर्चा जब से शुरू हुई, तब से वह विकासशील से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह किसी का फोन कॉल रिसीव नहीं कर रहे। दूसरी तरफ ब्यूरोक्रेसी के भीतर इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया जा रहा है कि विकासशील के भारत लौटने के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने उनकी सेवाएं छत्तीसगढ़ को लौटाए जाने संबंधी आदेश जारी नहीं किया है। केंद्र से सेवाएं लौटाए जाने के बाद ही राज्य सरकार उन्हें मुख्य सचिव बनाने का आदेश जारी करेगी। 1994 बैच के आईएएस विकासशील को नया मुख्य सचिव बनाने की चर्चा जब फ्लोर पर आई थी, तब यह भी सुना गया था कि मुख्य सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति का आदेश हफ्ते भर पहले जारी कर दिया जाएगा। इस बात को लेकर ब्यूरोक्रेसी संशय में है, क्योंकि आधिकारिक तौर पर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं की गई है। हालांकि विकासशील को छत्तीसगढ़ वापस बुलाए जाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने खुद पहल की थी। 8 सितंबर को उनके निर्देश पर ही केंद्र सरकार को सेवाएं लौटाए जाने से जुड़ी चिट्ठी भेजी गई। इस चिट्ठी के बाद डीओपीटी ने एशियन डेवलपमेंट बैंक से विकासशील को रिलीव करते हुए उनकी जगह नई पदस्थापना कर दी। माना जा रहा है कि राज्य सरकार मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर बन रही स्थिति से पर्दा हटाते हुए जल्द ही आदेश जारी कर देगी।

मंत्रालय में फेरबदल संभव

नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ ही सरकार मंत्रालय में कुछ अफसरों की जिम्मेदारियों में अहम बदलाव कर सकती है। एसीएस से लेकर सचिव स्तर तक के अफसरों की जिम्मेदारी बदली जा सकती है. कई नाम हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी के भीतर की चर्चा में अब तक सुने गए नामों में यह कहा गया है कि सिद्धार्थ कोमल परदेसी से स्कूल शिक्षा लेकर उन्हें स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सौंपा जा सकता है। वहीं बसव राजू से नगरीय प्रशासन लेकर उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है। स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया को नगरीय प्रशासन विभाग दिए जाने की चर्चा मंत्रालय के गलियारे में तैर रही है।

इन कलेक्टरों को लेकर चर्चा

प्रस्तावित फेरबदल में कुछ कलेक्टरों को इधर से उधर किए जाने की उम्मीद है। कोरबा कलेक्टर अजित वसंत के खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर मुखर हो गए हैं। साय सरकार के आने के बाद से ही वह कोरबा कलेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कोरबा विवादों का घर था। डीएमएफ, सीएसआर फंड में भारी गड़बड़ी की शिकायत के बाद अजित वसंत को सरकार ने कोरबा भेजा था। उनकी पोस्टिंग के बाद से अब तक डीएमएफ हो या सीएसआर इससे जुड़ी किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत सामने नहीं आई है। सरकार उनके परफॉर्मेंस से संतुष्ट है, लेकिन बदलते हालात के बीच सरकार उन्हें हटाकर किसी बड़ी भूमिका में ला सकती है। इसी तरह सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर, बेमेतरा कलेक्टर रणबीर शर्मा, सारंगढ़ कलेक्टर संजय कन्नौजे, कबीरधाम कलेक्टर से गोपाल वर्मा, बस्तर कलेक्टर हरीश एस, बलरामपुर-रामानुजगंज कलेक्टर राजेन्द्र कटारा, सक्ती कलेक्टर अमृत विकास टोपनो सहित कई जिलों के कलेक्टर इधर से उधर किए जा सकते हैं।

प्रशासनिक कसावट पर जोर

सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों को कहना है कि सूबे की साय सरकार के लगभग दो साल पूरे हो गए हैं। सुशासन का नारा बुलंद कर रही सरकार अब प्रशासनिक कसावट पर गंभीर है। सरकार की नजर कलेक्टरों के कामकाज पर है। नान परफार्मर कलेक्टरों को सरकार साइड लाइन करने के मूड में आ गई है। साय सरकार को सत्ता में आए करीब दो साल गुजर गए हैं। प्रशासनिक कामकाज को दुरुस्त करते हुए जमीन पर एजेंडा पूरा करने के लिहाज से महज डेढ़ साल का वक्त ही सरकार के पास है। आखिरी डेढ़ साल राजनीतिक मोर्चे पर घेराबंदी की होगी। जाहिर है सरकार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती।