जमुई। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सिकंदरा सुरक्षित सीट राजनीति का हॉटस्पॉट बन गई है। इसी बीच क्षेत्र के विधायक प्रफुल्ल कुमार मांझी ने मंगलवार को सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया कि डेढ़ साल पहले उन्हें पाला बदलने के लिए राजद की ओर से 10 करोड़ रुपये से अधिक की पेशकश की गई थी।
विधायक बोले दिखाया गया भय
विधायक ने बताया कि फरवरी 2024 में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले विपक्ष की ओर से लगातार दबाव बनाया गया। पहले उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश हुई। फिर प्रेम और मनुहार की बातें हुईं। अंततः नेता विपक्ष के लोगों ने सीधा पैसों का सौदा रखने की कोशिश की। मांझी ने कहा यह राशि इतनी बड़ी थी कि कल्पना से परे थी। करोड़ की संख्या दो अंकों में थी।
जीतन राम मांझी को दी जानकारी
प्रफुल्ल मांझी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह प्रस्ताव न केवल ठुकरा दिया बल्कि तुरंत अपने नेता और हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी को इसकी जानकारी भी दी। उन्होंने हालांकि उन नेताओं के नाम सार्वजनिक नहीं किए, जो यह ऑफर लेकर आए थे। इस पूरे मामले की जांच फिलहाल आर्थिक अपराध इकाई (EOU) कर रही है।
भरोसेमंद हैं जीतन राम मांझी
सिकंदरा सीट पर लोजपा (रामविलास) की दावेदारी को लेकर भी विधायक ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर में जीतन राम मांझी, चिराग पासवान की तुलना में कहीं ज्यादा भरोसेमंद हैं। यही वजह है कि एनडीए में सीट शेयरिंग के समय सिकंदरा पर कोई समझौता संभव नहीं है।
त्याग और समर्पण का प्रतीक है मेरा निर्णय
जीतन राम मांझी ने भी विधायक के इस रुख की सराहना की। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा प्रलोभन और भय दिखाने के बावजूद प्रफुल्ल मांझी का न झुकना त्याग और समर्पण का प्रतीक है। इसलिए सिकंदरा सीट पर किसी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।बिहार की राजनीति में यह खुलासा चुनावी माहौल को और भी गरमा सकता है। खासकर तब जब सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों में ही रस्साकशी जारी है।
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