पटना। बिहार में फर्जी एक्सचेंज नेटवर्क के जरिए करोड़ों की साइबर ठगी का खुलासा हुआ है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने जांच तेज कर दी है। नेटवर्क का सरगना अंजनी कुमार स्वतंत्र उर्फ नेताजी फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए दो टीमें नेपाल बॉर्डर, समस्तीपुर और आसपास के इलाकों में लगातार छापेमारी कर रही हैं। जांच में सामने आया है कि अंजनी कुमार ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है। हालांकि, पुलिस को उसका मोबाइल नंबर मिल गया है, जिसके आधार पर उसका आधार कार्ड और अन्य जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं। ईओयू उसकी बैंक गतिविधियों पर भी कड़ी नजर रखे हुए है।

CBI को सौंपा जा सकता है केस

सूत्रों के मुताबिक यह मामला अब सीबीआई को सौंपने की तैयारी में है। ईओयू जल्द ही इस बाबत पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेजेगी। अब तक की कार्रवाई में तीन साइबर ठग चंद्रबली सिंह, मुन्ना कुमार और काशिफ महफूज को गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क के तार सिर्फ बिहार या यूपी तक सीमित नहीं हैं बल्कि म्यांमार, नेपाल, चीन, लाओस, थाईलैंड और कंबोडिया जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से भी जुड़े हैं।

बीएसएनएल के 45 सिम से चल रहा था फ्रॉड

EOU और दूरसंचार विभाग की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बीएसएनएल के 45 मोबाइल सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर रोजाना करीब 1.20 लाख लोगों को फर्जी कॉल की जा रही थी। सभी नंबर मई 2025 में सक्रिय हुए थे।

समस्तीपुर से शुरू हुआ नेटवर्क, फिर फैला

ठगी का यह नेटवर्क समस्तीपुर के हसनपुर से शुरू हुआ और कमाई बढ़ने पर इसे पूर्णिया के बायसी और फिर वाराणसी शिफ्ट कर दिया गया। अंजनी पर पहले से ही बंगाल में फर्जी एक्सचेंज चलाने का मामला दर्ज है। उसके साथ सज्जाद और एक अन्य व्यक्ति की भी तलाश जारी है।