वीरेंद्र कुमार/नालंदा। जिले की सियासत में उस वक्त बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष मुन्ना लाल पासवान ने पार्टी से इस्तीफा देकर संगठन पर बड़ा हमला बोला। अपने इस्तीफे में उन्होंने खुलकर नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी में अब समर्पण और निष्ठा की कोई अहमियत नहीं बची है।राजगीर निवासी मुन्ना पासवान ने पार्टी के प्रति अपने समर्पण और वर्षों की मेहनत का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने भाजपा को गांव-गांव तक पहुंचाने में हर स्तर पर मेहनत की लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें लगातार नजरअंदाज किया और अपमानित किया।
इस माहौल में रहना संभव नहीं
उन्होंने कहा अब भाजपा में निष्ठावान और पुराने कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं रही। हाशिये पर डालना अपमानित करना अब पार्टी की कार्यशैली बन चुकी है। ऐसे माहौल में अब साथ रहना संभव नहीं।
इस्तीफे से मची खलबली
मुन्ना पासवान के इस कदम से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच चर्चा तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि अगर समर्पित और अनुभवी नेताओं को इस तरह दरकिनार किया जाता रहा तो पार्टी को जमीनी स्तर पर इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
असंतोष की चर्चा शुरू हो गई
सूत्रों की मानें तो उनके इस्तीफे के बाद कई और नेताओं के भी असंतोष की चर्चा शुरू हो गई है जो आने वाले समय में पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकता है।
सियासी संकेत क्या हैं?
मुन्ना पासवान नालंदा जिले में भाजपा के मजबूत दलित चेहरे रहे हैं। उनका पार्टी से अलग होना सिर्फ एक इस्तीफा नहीं बल्कि यह भाजपा के अंदरूनी हालात का संकेत भी है। जानकार मानते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह की घटनाएं पार्टी के लिए चुनौती बन सकती हैं।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए किल्क करें