अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए यह दावा किया कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि हर कोई कहता है कि उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान मिलना चाहिए। ट्रंप पिछले कुछ हफ्तों से दुनियाभर में युद्धों को रुकवाने का श्रेय लेते रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष समेत अब तक सात युद्धों को रुकवाया है, इसलिए उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।

हालांकि इस बीच, नॉर्वेजियन नोबेल समिति के उप-नेता असले तोजे ने कहा कि उन्हें ऐसे उम्मीदवार पसंद नहीं हैं जो प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। ओस्लो शांति अनुसंधान संस्थान की निदेशक नीना ग्रेगर ने कहा कि ट्रम्प ने राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा नहीं दिया है, जो अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुरूप था। इतिहासकार असले स्वीन ने कहा कि चूँकि ट्रम्प इज़राइल का समर्थन करते हैं, इसलिए उनके जीतने की कोई संभावना नहीं है।

अपने ही देश में हो रहा विरोध

इधर ट्रंप के इस सुनहरे सपने के दुश्मन उनके ही देश के लोग भी बने हुए हैं। अधिकांश अमेरिकियों का मानना है कि ट्रंप इस प्रतिष्ठित सम्मान के हकदार नहीं हैं। एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां तक कि उनकी अपनी ही पार्टी रिपब्लिकन पार्टी के आधे से ज्यादा लोग ट्रंप को नोबेल पुरस्कार देने के पक्ष में नहीं हैं। इस हकीकत का पता तब चला, जब इस महीने की शुरुआत में वॉशिंगटन पोस्ट-इप्सोस ने इस मुद्दे पर अमेरिका में एक सर्वे कराया।

क्या कहता है सर्वेक्षण?

इस सर्वे में पाया गया कि जहाँ कुछ हाई-प्रोफाइल सहयोगी इस बात से सहमत हैं, कि ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज मिलना चाहिए, वहीं तीन-चौथाई अमेरिकी इसका विरोध कर रहे हैं। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल सिर्फ 22% अमेरिकियों ने कहा कि ट्रम्प नोबेल पुरस्कार के हकदार हैं। यहाँ तक कि रिपब्लिकन भी इस सवाल पर बंटे हुए थे। सर्वेक्षण में शामिल आधे से भी कम यानी 49% लोगों ने कहा कि ट्रम्प को यह पुरस्कार मिलना चाहिए, जबकि उससे ज्यादा यानी 51 फीसदी ने कहा कि ट्रंप इसके हकदार नहीं हैं और वह डिजर्व नहीं करते।

सर्वे पर वाइट हाउस क्या बोला?

दूसरी तरफ, वाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने एक बयान में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप के लिए एकमात्र महत्वपूर्ण सर्वेक्षण यह है कि उन्होंने दुनिया भर में दशकों से चल रहे संघर्षों को समाप्त करके हज़ारों लोगों की जिंदगियां बचाई हैं।” उन्होंने कहा, “दुनिया के किसी भी नेता ने वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए इतना कुछ नहीं किया है, जितना प्रेसिडेंट ट्रंप ने किया है। हालाँकि वह नोबेल शांति पुरस्कार के कई गुना ज़्यादा हक़दार हैं, क्योंकि उन्हें लोगों को मारे जाने से ज्यादा उन्हें बचाने की चिंता है।”

ओबामा भी नहीं थे वाजिब हकदार…

ट्रंप ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसी तरह का भाषण देते हुए कहा था कि मुझे पुरस्कार जीतने की नहीं, बल्कि जान बचाने की चिंता है। सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश अमेरिकियों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ओबामा ने जब 2009 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया था, लेकिन तब वह भी इसके वाजिब हकदार नहीं थे।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने रखी शर्त

इस बीच, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार तभी जीत सकते हैं जब वे गाजा पर इजरायल और फलस्तीनियों के बीच संघर्ष रोक दें। मैक्रों ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान बीएफएमटीवी को दिए एक साक्षात्कार में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार चाहते हैं। नोबेल शांति पुरस्कार तभी संभव है जब आप इस संघर्ष को रोकें।

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