वीरेंद्र कुमार/ नालंदा। जिले के गिरियक प्रखंड स्थित घोषरामा गांव का ऐतिहासिक मां आशापुरी मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है। शारदीय नवरात्र की शुरुआत होते ही यहां महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। पूरे 9 दिनों तक न तो महिलाएं मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकती हैं और न ही गर्भगृह में पूजा-अर्चना कर पाती हैं।
तांत्रिक परंपरा की वजह से रोक
स्थानीय मान्यता के अनुसार नवरात्र के दौरान इस मंदिर में विशेष तांत्रिक विधि से मां दुर्गा की आराधना होती है। इसी कारण से यहां सदियों से महिलाओं के प्रवेश पर रोक लागू है। कहा जाता है कि इस अवधि में मां आशापुरी की पूजा सिर्फ पुरुष भक्त ही कर सकते हैं।
रोज होती है नौ देवियों की पूजा
पूरे नवरात्र में प्रतिदिन नौ देवियों की पूजा होती है। नवमी के दिन विशेष हवन-पूजन और अनुष्ठान संपन्न कर उत्सव का समापन किया जाता है। इस दौरान मंदिर परिसर पूरी तरह पुरुष श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
प्राचीन इतिहास और मान्यता
पावापुरी मोड़ से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर पाल वंशकाल का बताया जाता है। यहां विराजमान मां दुर्गा की अष्टभुजा प्रतिमा भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मां आशापुरी सच्चे मन से की गई हर मन्नत पूरी करती हैं। इसी कारण इस मंदिर का नाम ‘आशापुरी’ पड़ा।
दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु
बंगाल, झारखंड, ओडिशा और बिहार समेत कई राज्यों से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। हालांकि नवरात्र के इन नौ दिनों में सिर्फ पुरुष भक्तों को ही आराधना का अवसर मिलता है। महिलाओं को नवमी के बाद ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
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