Bastar News: जगदलपुर। बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव का असर अब बस्तर संभाग में दिखने वाला है. मौसम विभाग ने 27 और 28 सितंबर को कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी वर्षा की संभावना जताई है.
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बीते सप्ताहभर से ही लगातार गरज-चमक के साथ हो रही बारिश ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. नदी-नालों का जलस्तर पहले ही ऊपर है, ऐसे में तेज बारिश हुई तो बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं. वहीं दूसरी ओर, दशहरा पर्व के दौरान बारिश ने हमेशा रुकावट डाली है, पर इस बार भारी वर्षा की चेतावनी से त्योहार की रौनक फीकी पड़ने का खतरा है. शहर में बाजार सजने लगे हैं और ग्रामीण भी पहुंच रहे हैं, लेकिन मौसम का मिजाज पर्व की खुशियों पर पानी फेर सकता है.

सड़ गई बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजी गई राहत सामग्री
दंतेवाड़ा। 26 अगस्त की बाढ़ के बाद दंतेवाड़ा में राहत सामग्री पहुंची थी, लेकिन लापरवाही से हजारों पैकेट बेकार हो गए. गुजरात सरकार और भाजपा संगठन ने पांच कंटेनर भेजे थे, जिनमें आलू-प्याज समेत राशन रखा था. समय पर वितरण न होने और बारिश की वजह से सामग्री गोदाम में ही सड़ गई. अब इन्हें फेंका जा रहा है और मवेशी खाकर बीमार पड़ने लगे हैं. कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर गरीबों के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया है. वहीं भाजपा ने सफाई दी कि ट्रकों को पहुंचने में देरी से सामान खराब हुआ. बाढ़ पीड़ितों ने नाराजगी जताई कि मदद समय पर नहीं मिली.
दशहरा पर्व पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
जगदलपुर। शारदीय नवरात्रि और बस्तर दशहरा की रस्मों के साथ जगदलपुर में माहौल उत्साहपूर्ण है. फूल रथ परिक्रमा के साथ कई परंपरागत रस्में निभाई जा रही हैं, जिसे देखने हजारों लोग पहुंचे हैं. भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा बनाए रखने के लिए पुलिस ने कड़े इंतजाम किए हैं. शहर के प्रवेश द्वारों पर नाकेबंदी, चौक-चौराहों पर सादी वर्दी में जवानों की तैनाती और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की गई है. करीब 500 से अधिक जवान सुरक्षा ड्यूटी पर हैं. महिला पुलिस को विशेष जिम्मेदारी दी गई है और राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार गश्त हो रही है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि भीड़ को देखते हुए किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी.
शासकीय सेवकों को 30 सितंबर तक ई-केवाईसी पूर्ण करने का निर्देश
जगदलपुर। कोष एवं लेखा संचालनालय ने सभी शासकीय सेवकों को कार्मिक संपदा मॉड्यूल में प्रोफाइल अपडेट करने का निर्देश जारी किया है. इसके लिए ई-केवाईसी करना अनिवार्य किया गया है. जिला कोषालय बस्तर ने सभी विभागों को पत्र जारी कर कहा है कि 30 सितंबर तक हर कर्मचारी का ई-केवाईसी पूरा किया जाए. यह प्रक्रिया एम्प्लाई कॉर्नर ऐप या पोर्टल से की जा सकती है. अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि समय सीमा का पालन न होने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी. प्रशासन का मानना है कि ई-केवाईसी से कर्मचारियों की प्रोफाइलिंग पारदर्शी और डिजिटल व्यवस्था मजबूत होगी.
लौह अयस्क पर अधिकार की लड़ाई
नारायणपुर। जिले की जनता डीएमएफ राशि को लेकर आक्रोशित है. आरोप है कि शासन के स्पष्ट आदेश के बावजूद जिले के हिस्से की राशि कांकेर को दी जा रही है. रावघाट और अंजरेल की पहाड़ियों में विशाल लौह अयस्क भंडार मौजूद है, जिसका खनन तो नारायणपुर की जमीन पर हो रहा है लेकिन लाभ कांकेर को दिया जा रहा है. कलेक्टर नारायणपुर लगातार पत्राचार कर रहे हैं, पर परिणाम नहीं निकला. स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन से निकलने वाली धूल नारायणपुर को प्रभावित कर रही है, फिर भी विकास कार्यों के लिए धन नहीं मिल रहा. इसे जनता के साथ नाइंसाफी और कांकेर की हठधर्मिता बताया जा रहा है.
उफनते नाले पर जान जोखिम में पार
कोंडागांव। जिले के बोदरा नाला पर बनी पुलिया ग्रामीणों के लिए खतरा बन गई है. थोड़ी सी बारिश होते ही नाला भर जाता है और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उसे पार करने को मजबूर हो जाते हैं. नारायणपुर-कोंडागांव मुख्य मार्ग बंद होने के कारण यह वैकल्पिक रास्ता ही सहारा है. स्कूली बच्चे, कर्मचारी और मरीज सभी इसी मार्ग से गुजरते हैं. लगातार बारिश से हफ्तों तक आवाजाही बंद रहती है, जिससे लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से ऊंची पुलिया बनाने की मांग की है ताकि सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो सके.
नगर सेना ने किया बाढ़ बचाव के लिए मॉक ड्रिल
दंतेवाड़ा। जिले में बाढ़ से निपटने की तैयारी के तहत नगर सेना की आपदा प्रबंधन टीम ने मॉक ड्रिल किया. कारली और भैरमबंद तालाब पर गोताखोरों और राहतकर्मियों ने बोट और लाइफ जैकेट की मदद से फंसे ग्रामीणों को बचाने का अभ्यास किया. पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने, स्वास्थ्य जांच और दवाइयां देने का प्रदर्शन किया गया. मॉक ड्रिल में सायरन सिस्टम, माइक गाइडेंस और राहत केंद्र की व्यवस्था का भी अभ्यास किया गया. प्रशासन ने कहा कि इस तरह के अभ्यास से आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया संभव होगी.
खंडहर बना पीजी कॉलेज का ऑडिटोरियम
कांकेर। जिले का सबसे बड़ा पीजी कॉलेज ऑडिटोरियम अब जर्जर हो चुका है. 1990 में बने 500 सीटर हॉल का निर्माण घटिया गुणवत्ता से किया गया था, जिसके कारण 10 साल में ही भवन कंडम हो गया. 2019 के बाद से यह पूरी तरह बंद पड़ा है और खंडहर में तब्दील हो चुका है. छात्र और संगठन नया ऑडिटोरियम बनाने की मांग कर रहे हैं. प्राचार्य ने विधायक और पीडब्ल्यूडी को पत्र भेजकर ध्यान आकर्षित किया है. एबीवीपी ने निर्माण में अनियमितता की जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है. छात्रों का कहना है कि भवन कभी भी गिर सकता है, इसलिए तुरंत नया निर्माण जरूरी है.
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