अनूप मिश्रा, बहराइच. जिले के कैसरगंज इलाके में आदमखोर का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. आदमखोर लगातार मासूम बच्चों पर हमला कर रहा है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है. जानवर के हमले में अब तक 4 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 18 से अधिक लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच चुके हैं. लगातार हो रहे इन हमलों को देखते हुए, जहां पहले गांव-गांव में पुरुषों द्वारा पहरा दिया जा रहा था, वहीं अब मासूमों को बचाने का बीड़ा बच्चों की माताओं ने उठा लिया है. अपने हाथों में लाठी-डंडे लेकर, ये महिलाएं पूरी रात जागकर गांव में पहरा दे रही हैं और अपने बच्चों के लिए ‘सुरक्षा कवच’ बनकर खड़ी हैं.

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बता दें कि मझारा तौकली इलाके के तकरीबन एक दर्जन गांव के लोग दहशत में जीने पर मजबूर है. बभनन पुरवा, भिरगू पुरवा, बाबा पटाव, देवनाथ पुरवा, गांधीगंज सहित तमाम गांव के लोग भेड़िए के आतंक से दहशत में दिन और रात गुजारने को मजबूर हैं. यही वजह है कि अब माताएं खुद अपनी सुरक्षा और बच्चों के जीवन को बचाने के लिए रात-रातभर पहरा दे रही हैं.
​देर रात पहरा दे रही महिलाओं ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

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ग्रामीण महिला रामरति और मीना देवी ने बातचीत में बताया कि वन विभाग की तरफ से कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की जा रही है, जिससे मासूम बच्चों को बचाया जा सके. उनका आरोप है कि हर रोज आदमखोर मासूमों के साथ-साथ महिला और पुरुषों के ऊपर हमला कर रहा है. इसके बावजूद वन विभाग उसे पकड़ पाने में नाकाम साबित हो रहा है. पहरा दे रही इन माओं को अब बस उसी दिन का इंतजार है. जब यह आदमखोर पिंजरे में कैद होगा और ये महिलाएं अपने मासूम बच्चों के साथ सुरक्षित तरीके से घर में सो सकेंगी.