दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सीएम श्री स्कूलों की एडमिशन पॉलिसी को लेकर 11 वर्षीय बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बच्चे ने छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा में प्रवेश के लिए अनिवार्य एडमिशन टेस्ट पर आपत्ति जताई है और इसे संविधान से मिले अधिकारों का उल्लंघन बताया है। याचिका में बच्चे ने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है कि यह प्रवेश परीक्षा रद्द की जाए और छात्रों को लॉटरी प्रणाली के जरिए प्रवेश दिया जाए। याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की वजह यह बताई है कि हाई कोर्ट के पुराने फैसलों में इस तरह के मामलों को पर्याप्त समाधान नहीं माना गया है।

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याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि सीएम श्री स्कूलों में प्रवेश परीक्षा अनुच्छेद 21-ए का उल्लंघन करती है, जो बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। साथ ही, याचिकाकर्ता ने इस प्रवेश परीक्षा को बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) की धारा 13 का उल्लंघन भी बताया है। धारा 13 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूल प्रवेश में किसी भी प्रकार की स्क्रीनिंग प्रक्रिया का उपयोग नहीं किया जा सकता।

दिल्ली के शासकीय सर्वोदय बाल विद्यालय की छठवीं कक्षा में पढ़ने वाले जन्मेश सागर ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में सीएम श्री स्कूलों में प्रवेश के लिए अनिवार्य एंट्रेंस टेस्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जन्मेश ने याचिका में तर्क दिया है कि 23 जुलाई, 2025 को दिल्ली सरकार द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार उन्हें 13 सितंबर, 2025 को परीक्षा देनी थी, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने इस परीक्षा को गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण बताते हुए अदालत से इसे रद्द करने और बच्चों को प्रवेश लॉटरी सिस्टम के माध्यम से देने का निर्देश देने की मांग की है।

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याचिका में दावा किया गया है कि सीएम श्री स्कूलों में प्रवेश परीक्षा गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण है। जन्मेश सागर का कहना है कि ये स्कूल आरटीई अधिनियम की धारा 2(पी) में परिभाषित ‘निर्दिष्ट श्रेणी’ में आते हैं, इसलिए उन्हें धारा 13 के लागू होने से कोई छूट नहीं मिलती। धारा 13 स्कूल प्रवेश में किसी भी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के उपयोग पर स्पष्ट रूप से रोक लगाती है।

याचिका में आगे कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले के एक मामले में माना था कि आरटीई अधिनियम कुछ विशेष श्रेणी के स्कूलों पर लागू नहीं होता। लेकिन जन्मेश ने तर्क दिया है कि यह व्याख्या अनुच्छेद 21-ए और धारा 13 के विपरीत है। इस कारण उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

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याचिका के माध्यम से जन्मेश सागर ने सुप्रीम कोर्ट से कई दिशा-निर्देश मांगे हैं। प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

यह घोषित किया जाए कि आरटीई अधिनियम की धारा 13 सीएम श्री स्कूलों पर लागू होती है।

23 जुलाई, 2025 को जारी प्रवेश परिपत्र को रद्द किया जाए, जिसमें प्रवेश परीक्षा अनिवार्य की गई थी।

अदालत यह निर्देश जारी करे कि ऐसे स्कूलों में बच्चों को प्रवेश स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बजाय लॉटरी प्रणाली के माध्यम से दिया जाए।

जन्मेश की याचिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को निःशुल्क और समान अवसर के आधार पर शिक्षा मिले और प्रवेश प्रक्रिया आरटीई अधिनियम और संविधान के अनुरूप हो।

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