बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की रजत जयंती का अवसर सोमवार को इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया. न्याय और आस्था के इस संगम को और गरिमामय बनाने मंच पर राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस प्रशांत मिश्रा, तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सैम कोशी तथा पूर्व जज मनींद्र मोहन श्रीवास्तव की उपस्थिति रही. इस कार्यक्रम को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने संबोधित करते हुए कहा कि मैं छत्तीसगढ़ आया हूं तो हिंदी में ही बोलूंगा…

जस्टिस माहेश्वरी का आत्मीय संबोधन

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा कि “मैं छत्तीसगढ़ आया हूं तो हिंदी में ही बोलूंगा. मैं मध्यप्रदेश का हूं और छत्तीसगढ़ से मेरा आत्मीय जुड़ाव है. बेंच और बार एक रथ के दो पहिए हैं, और कर्म ही सच्चा धर्म है.”  उन्होंने आगे कहा- “न्यायालय इमारतों से नहीं, बल्कि आम जनता को मिलने वाले न्याय से पहचाना जाएगा. आने वाले 25 वर्ष न्यायपालिका की उपलब्धियों और सबकी सहभागिता से तय होंगे.”

चीफ जस्टिस सिन्हा ने गिनाई उपलब्धियां

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रजत जयंती अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि बीते 25 वर्षों में हाईकोर्ट ने लंबित मामलों को घटाने और न्यायिक ढांचे को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं.

जनता की आस्था अटूट रहेगी: तोखन साहू

समारोह में केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने भरोसा जताया कि न्यायपालिका पर जनता की आस्था हमेशा अटूट रहेगी. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने 25 वर्षों की यात्रा में जिस तरह से न्याय के नए आयाम गढ़े हैं, वह आने वाले समय में और भी प्रेरणादायी साबित होंगे.