नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एएक्सिस माई इंडिया के चेयरमैन एवं प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक प्रदीप गुप्ता ने एक न्यूज एजेंसी को दिए एक साक्षात्कार में बिहार की राजनीति को देश की सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण राजनीति बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार ऐसा राज्य है जहां वोटिंग के बाद भी परिणामों का अनुमान लगाना आसान नहीं होता।

विरोधी लहर का असर बिहार में अलग तरह का

प्रदीप गुप्ता के मुताबिक चुनाव विश्लेषण का पहला पैमाना एंटी-इनकम्बेंसी (सत्ता विरोधी लहर) होता है लेकिन बिहार में इसका प्रभाव बाकी राज्यों से बिलकुल अलग होता है।
बिहार में एकमात्र स्थायी कारक नीतीश कुमार हैं, जो पिछले 20 वर्षों से सत्ता में किसी न किसी रूप में बने हुए हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यहां सबसे बड़ा सवाल हमेशा यही रहता है कि विकल्प क्या है?

राजद ने खोया नहीं है अपना आधार

गुप्ता ने यह भी कहा कि राजद (RJD) का मुस्लिम-यादव समीकरण अब भी मजबूत है जो लगभग 32% है। यही कारण है कि लंबे समय तक विपक्ष में रहने के बावजूद भी राजद ने अपना जनाधार नहीं खोया। पिछली बार अगर लोजपा (LJP) ने NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो NDA को 138 सीटें मिल सकती थीं।

प्रशांत किशोर पर क्या बोले प्रदीप गुप्ता?

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) को लेकर प्रदीप गुप्ता ने कहा वे कुछ सीटें जरूर जीत सकते हैं, लेकिन सत्ता में आना अभी दूर की बात है उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की लोकप्रियता बढ़ रही है और वे दो साल से जनता के बीच सक्रिय हैं, लेकिन लोकप्रियता और वोट में बदलने की क्षमता दो अलग चीजें हैं।

बिहार में चेहरा नहीं, समीकरण चलता है

गुप्ता ने कहा कि भाजपा समर्थक चाहते हैं कि पार्टी को बिहार में एक मौका मिले और राज्य में कई लोग प्रधानमंत्री मोदी को ही चेहरा मानते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में भाजपा ने बिना मुख्यमंत्री पद के चेहरे के भी जीत दर्ज की थी। बिहार में भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने बताया कि बिहार में जाति, समीकरण, गठबंधन और विपक्ष की एकजुटता जैसे कई कारक चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं।