Silver Jewellery Import Ban: नई दिल्ली. सोना और चांदी भारत में सिर्फ शादी-ब्याह और धार्मिक रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि निवेश के तौर पर भी बड़ी संख्या में खरीदे जाते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जहां सोना सुरक्षित निवेश का प्रतीक है, वहीं चांदी निवेश पर बेहतर रिटर्न देती है. यही वजह है कि निवेशक और ज्वेलरी इंडस्ट्री दोनों ही इसकी ओर खासा आकर्षित रहते हैं.

लेकिन अब चांदी को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने बुधवार को नोटिफिकेशन जारी कर विदेश से चांदी के आभूषणों के आयात पर 31 मार्च 2026 तक रोक लगाने का फैसला किया है. यानी, अब कोई भी व्यापारी सीधे चांदी के ज्वेलरी प्रोडक्ट्स इंपोर्ट नहीं कर पाएगा. हाँ, विशेष परिस्थितियों में इंपोर्ट करना हो तो इसके लिए DGFT से अलग से अनुमति लेनी होगी.

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Silver Jewellery Import Ban
Silver Jewellery Import Ban

सरकार ने ये फैसला क्यों लिया? (Silver Jewellery Import Ban)

सरकार का कहना है कि पिछले कुछ समय से चांदी के आभूषणों की आड़ में बड़े पैमाने पर आयात बढ़ा है. जांच में पाया गया कि कुछ व्यापारी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का गलत फायदा उठा रहे थे. इसका सीधा असर घरेलू मार्केट और छोटे कारोबारियों पर पड़ रहा था.

DGFT के मुताबिक, अप्रैल-जून 2024-25 और अप्रैल-जून 2025-26 के बीच प्रेफरेंशियल ड्यूटी में छूट के कारण चांदी का आयात लगातार तेजी से बढ़ा. यह स्थिति भारत के घरेलू उद्योग और रोजगार के लिए खतरे का संकेत थी.

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घरेलू कारोबार और रोजगार पर असर

बाहरी आयात में इजाफे के चलते भारत के स्थानीय बाजार में दबाव बढ़ गया. थोक कीमतों में गिरावट आई और इससे छोटे कारीगरों और घरेलू चांदी ज्वेलरी बनाने वाले उद्योगों को नुकसान पहुंचने लगा.

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम छोटे और मध्यम कारोबारियों (MSME सेक्टर) को सुरक्षा देगा. साथ ही देश के अंदर रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.

आयात में अचानक उछाल (Silver Jewellery Import Ban)

अप्रैल-जून 2025 के दौरान कुछ देशों, खासतौर पर थाइलैंड से बिना जड़ाऊ चांदी के गहनों का आयात कई गुना बढ़ गया. रिपोर्ट के अनुसार:

  • आयात में 10 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई.
  • कुल हिस्सेदारी 78% से बढ़कर 98% तक पहुंच गई.
  • इससे घरेलू उद्योग में असंतुलन और अनुचित व्यापार प्रथाओं की आशंका बढ़ गई.

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थाइलैंड चांदी बनाता नहीं, फिर भी भारत में क्यों बढ़ा आयात?

ASEAN देशों में थाइलैंड, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर समेत 10 देश आते हैं. लेकिन इनमें थाइलैंड चांदी का प्रोड्यूसर देश नहीं है. इसके बावजूद हाल ही में भारत में वहां से बड़ी मात्रा में चांदी के गहनों का इंपोर्ट हुआ.

अधिकारियों का मानना है कि यह सब आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) के तहत मिलने वाली ड्यूटी छूट का फायदा उठाने के लिए किया गया. यानी, दूसरे देशों से बने प्रोडक्ट्स को थाइलैंड के रास्ते भेजकर टैरिफ बेनिफिट लिया गया.

आम लोगों पर क्या असर होगा? (Silver Jewellery Import Ban)

  • फिलहाल यह रोक सिर्फ चांदी के तैयार आभूषणों पर है.
  • चांदी के बर्तन या इंडस्ट्रियल इस्तेमाल वाली चांदी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा.
  • घरेलू बाजार में बनी चांदी की ज्वेलरी की मांग बढ़ सकती है.
  • हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन प्रभावित होने पर चांदी की ज्वेलरी की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दिखे.

कुल मिलाकर, सरकार का मकसद घरेलू कारोबार और छोटे उद्योगों को मजबूत करना है. हालांकि आने वाले दिनों में इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब और ज्वेलरी इंडस्ट्री पर कितना पड़ेगा, यह बाजार की स्थिति पर निर्भर करेगा.

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