India-US Trade: अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त टैरिफ लगाया हुआ है. इसके चलते टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इस बीच अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक का बयान सामने आया है. उन्होंने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की आलोचना करते हुए कहा कि भारत और ब्राजील को अपने बाजार ऐसे खोलना चाहिए जिससे अमेरिकी के हितों को नुकसान न हो. इन देशों को अमेरिका के प्रति सही प्रतिक्रिया (React Correctly) देनी चाहिए. लुटनिक ने यह भी कहा कि हमें कई देशों को सुधारना होगा और साथ ही यह जोर दिया कि ऐसी नीतियों को खत्म किया जाए जो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं.
‘भारत को अपने बाजार खोलने की जरूरत’
ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में लुटनिक ने कहा कि भारत को अपने बाजार खोलने चाहिए और ऐसी नीतियां नहीं अपनानी चाहिए जो अमेरिका को नुकसान पहुंचा सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कई ऐसे देश हैं जिन्हें सुधारने की जरूरत है, जैसे स्विट्जरलैंड और ब्राजील. भारत भी ऐसा ही देश है जिसे अमेरिका के प्रति सही कदम उठाने चाहिए. इसी वजह से हमारी इन देशों के साथ असहमति है.’
‘भारत को सहयोग करना होगा’
लुटनिक ने कहा कि व्यापार से जुड़े मुद्दे समय के साथ हल हो सकते हैं, लेकिन अगर भारत अमेरिकी ग्राहकों तक अपने उत्पाद पहुंचाना चाहता है तो उसे अमेरिका के साथ सहयोग करना होगा. उन्होंने कहा, ‘ये मुद्दे समय के साथ सुलझ जाएंगे, लेकिन इसके लिए समय लगेगा. इन देशों को समझना होगा कि अगर आप अमेरिकी उपभोक्ताओं को बेचना चाहते हैं, तो आपको अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ सहयोग करना होगा. इसलिए अभी कुछ मुद्दे बाकी हैं. बड़े देश जैसे भारत, उन्हें समय के साथ सुलझा लिया जाएगा.’ लुटनिक ने यह भी कहा, ‘2026 की अर्थव्यवस्था डोनाल्ड ट्रंप की अर्थव्यवस्था होगी.’
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय टीम अमेरिका का दौरा कर चुकी है. वाणिज्य मंत्रालय ने 26 सितंबर को कहा कि इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश के संबंध मजबूत करने के लिए सफल बातचीत हुई.
व्यापार वार्ता को लेकर क्या कहा?
कुछ दिन पहले ही लुटनिक ने कहा था कि भारत का व्यापार वार्ता में विरोध अधिकतर प्रतीकात्मक है. साथ ही उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि भारत एक-दो महीने में फिर से बातचीत की मेज पर लौट आएगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय व्यापारिक कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर दबाव डालेंगी कि वो अमेरिका से समझौता करें.
रूस से तेल व्यापार पर की आलोचना
अमेरिकी अधिकारी ने भारत के यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस से बड़े पैमाने पर सस्ता कच्चा तेल खरीदने की भी आलोचना की. उन्होंने इसे पूरी तरह गलत और हास्यास्पद बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को तय करना होगा कि वो किस पक्ष में है. अमेरिकी अधिकारी ने इस मुद्दे को सख्त आर्थिक शर्तों में रखते हुए देशों को याद दिलाया कि अमेरिका अब भी दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार (consumer market) है. उन्होंने कहा, हम दुनिया के उपभोक्ता हैं. लोगों को याद रखना होगा, हमारी $30 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था दुनिया की उपभोक्ता है. इसलिए उन्हें ग्राहक के पास लौटना ही होगा, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि अंत में ग्राहक हमेशा सही होता है.
यह तीखी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत हो रही है. साथ ही अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है उसको लेकर भी रिएक्शन सामने आ रहे हैं.
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