पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी पटना जिले के कई गांवों में नाराजगी का माहौल है। लगातार बारिश और बाढ़ के बाद बने जलजमाव से परेशान ग्रामीणों ने वोट का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के इस्माइलपुर और चौरा गांव के लोगों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा वे मतदान केंद्रों तक नहीं जाएंगे।

एक महीने से जलमग्न हैं खेत और गलियां

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले महीने आई बाढ़ का पानी अब तक खेतों और गलियों से नहीं निकाला गया। हजारों बीघा में खड़ी धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। फसल बर्बाद होने के बावजूद प्रशासन और सरकार की ओर से कोई मुआवजा या राहत नहीं दी गई। अब रबी सीजन की बोआई पर भी संकट मंडरा रहा है।

पानी निकासी व्यवस्था पर उठे सवाल

इस्माइलपुर गांव के लोगों ने बताया कि पुरानी पईन (नहर) को कोहामा और नेटार गांव के पास भर दिया गया है, जिससे पानी का बहाव रुक गया है। वहीं नालंदा से पटना तक बनी सड़क में नदी पार करने के लिए पुल नहीं छोड़ा गया जिसके कारण कठौतिया नदी का पानी नौनिया नदी तक नहीं पहुंच पा रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि दर्जनों गांव लगातार जलमग्न हैं।

वोट बहिष्कार का बैनर लगाया

इस्माइलपुर गांव के लगभग 1,000 मतदाताओं और चौरा गांव के करीब 1,500 मतदाताओं ने मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया है। गांव के प्रवेश द्वार पर ‘वोट बहिष्कार’ का बैनर लगा दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों से लेकर पटना जिलाधिकारी तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

वोट देने का मतलब ही नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि जब उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है, तो चुनाव में वोट देने का कोई औचित्य नहीं है। स्थानीय विधायक को भी मामले की जानकारी दी गई थी लेकिन उन्हें टाल दिया गया। अब लोगों का कहना है कि वे अपने वोट के जरिए नेताओं को सबक सिखाएंगे।

और गांव जुड़ सकते हैं आंदोलन से

फतुहा और बख्तियारपुर क्षेत्र के कई अन्य गांवों में भी यही समस्या बनी हुई है। आशंका है कि आने वाले दिनों में और गांव इस आंदोलन से जुड़ सकते हैं। चुनावी मौसम में वोट बहिष्कार की यह घोषणा राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है।