रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले में  प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सरकार को पत्र लिखकर 10 IAS और IPS अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. इस मामले रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को हमारी सरकार नहीं छोड़ेगी. हमारी सरकार उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.

बता दें, कोल लेवी घोटाला में सरकार को 570 करोड़ रुपये का चूना लगा है. इस मामले में  पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई, रानू साहू समेत कई सीनियर अफसर शामिल थे. इस मामले में ईडी ने अब तक 36 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है और एक लंबी चौड़ी चार्टशीट पेश की है. मामले में अब तक निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई, रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को जेल हो चुकी है. हालांकि फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर हैं.

कोल लेवी घोटाला मामले में ED ने अब मुख्य सचिव और ईओडब्ल्यू को 10 वरिष्ठ आइएएस-आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा पत्र भेजा है.

अफसरों के विरुद्ध दर्ज मामलों पर कार्रवाई आखिर कहां ठहर जाती है? 

दरअसल, राज्य में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज EOW करता है, लेकिन अफसरों के विरुद्ध सीधी कार्रवाई का अधिकार ईओडब्ल्यू को नहीं है. किसी अफसर के विरुद्ध अभियोजन चलाने की अनुमति सरकार से मांगनी होती है. ज्यादातर मामलों में ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रकरणों पर सरकार से जांच की अनुमति नहीं मिली. इसलिए ज्यादातर अफसरों के खिलाफ जांच ठहर गई.

अब सरकार को भेजी गई ईडी की चिट्ठी में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ही जांच की सिफारिश की चर्चा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस ED की सिफारिश पर कार्रवाई कब तक करती है.

क्या है कोयला घोटाला मामला ?

ED की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों से मिलीभगत के बाद ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर कोयला ट्रांसपोर्ट करने वालों से अवैध वसूली की. जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयले के हर टन पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली गई. 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया गया था.

खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर बिश्रोई ने आदेश जारी किया था. यह परमिट कोल परिवहन में कोल व्यापारियों को दिया जाता है. पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया. इसमें जो व्यापारी पैसे देता उसे ही खनिज विभाग से पीट और परिवहन पास जारी होता था, यह रकम 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा होती थी. इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपये की वसूली की गई.

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