घर या भवन की उत्तर-पूर्व दिशा जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस कोने का सीधा संबंध जल तत्व से है और इसे भगवान का द्वार की संज्ञा दी गई है. वास्तु नियम बताते हैं कि ईशान कोण में जल तत्व की उपस्थिति सर्वाधिक शुभ फलदायी होती है. इसी कारण इस दिशा में पानी की बोरिंग, भूमिगत जल भंडार, स्विमिंग पूल, या पूजा स्थल बनाने की सलाह दी जाती है. इस दिशा को भगवान शिव और धन के देवता कुबेर का निवास स्थान भी माना जाता है, जिससे यह क्षेत्र शांति, ज्ञान, धन और समृद्धि का केंद्र बन जाता है.

ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह

  • सकारात्मक ऊर्जा: ईशान कोण पर सूर्य की पहली किरणें पड़ती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा का अधिकतम प्रवाह सुनिश्चित करती हैं.
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह दिशा आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति के लिए उत्तम मानी गई है.
  • संतुलन: घर में जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए इस कोने का संतुलित और स्वच्छ रहना महत्वपूर्ण है.
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में किसी भी प्रकार का भारी निर्माण (जैसे ओवरहेड वॉटर टैंक, सीढ़ियां) या नकारात्मक गतिविधियाँ (जैसे टॉयलेट, स्टोर रूम, किचन) सख्त वर्जित हैं, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है और परिवार को हानि उठानी पड़ सकती है. इस दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और हल्का रखना चाहिए.