शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर, पूरे भारत में देवी दुर्गा के भक्तों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है. इस दौरान, देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरने से बने प्राचीन शक्तिपीठ आस्था और शक्ति के महान केंद्र बने हुए हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुल 51 शक्तिपीठ हैं, लेकिन भारत में नौ प्रमुख शक्तिपीठों का महत्व अत्यंत विशेष माना जाता है.

नौ प्रमुख शक्तिपीठ
इन नौ प्रसिद्ध शक्तिपीठों को माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों और शक्तियों का साक्षात प्रमाण माना जाता है. प्रत्येक शक्तिपीठ एक विशिष्ट अंग गिरने से बना है और उसकी अपनी एक अनूठी कहानी और पूजा पद्धति है.
- कामाख्या शक्तिपीठ (असम): यह गुवाहाटी के पास स्थित सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहाँ माता सती का योनि भाग गिरा था. यह मंदिर तांत्रिक साधना और अघोर पंथ के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
- ज्वाला देवी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश) : हिमाचल के कांगड़ा में स्थित यह मंदिर बिना किसी मूर्ति के पूजा के लिए जाना जाता है. यहाँ धरती से नौ निरंतर प्रज्ज्वलित होने वाली ज्वालाएँ निकलती हैं, जिन्हें माता सती की जीभ का स्वरूप माना जाता है.
- कालिका/कालीघाट (पश्चिम बंगाल): कोलकाता में स्थित यह शक्तिपीठ माँ काली को समर्पित है, जहाँ देवी सती के बाएँ पैर की उंगलियाँ गिरी थीं. यह बंगाल में शक्ति पूजा का एक प्रमुख केंद्र है.
- विशालाक्षी शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित यह मंदिर वह स्थान है, जहाँ माता सती के कान के मणि जड़ित कुंडल गिरे थे.
- महालक्ष्मी मंदिर (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित इस शक्तिपीठ में देवी सती का त्रिनेत्र (तीसरी आँख) गिरा था. यहाँ माँ महालक्ष्मी का भव्य स्वरूप विराजित है.
- नैना देवी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश): बिलासपुर के पास पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में माता सती के नेत्र (आँखें) गिरे थे. यह उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है.
- हरसिद्धि मंदिर (मध्य प्रदेश): मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित यह मंदिर शक्तिपीठों में शामिल है, जहाँ देवी सती की कोहनी और होंठ गिरे थे.
- अम्बाजी शक्तिपीठ (गुजरात): गुजरात में अरासुर पर्वत पर स्थित इस प्राचीन मंदिर में माता सती का हृदय (दिल) गिरा था. यह भी बिना किसी प्रतिमा के पूजा के लिए प्रसिद्ध है.
- कात्यायनी शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश): मथुरा के वृंदावन में स्थित यह मंदिर देवी सती के संपूर्ण केश (बाल) गिरने के स्थान पर बना है.
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