Rebellion in Haryana Congress: कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया गया है। 20 वर्षों से चले आ रहे जाट–दलित समीकरण को तोड़ते हुए कांग्रेस ने हरियाणा में राव नरेंद्र सिंह (Rao Narendra Singh) को प्रदेश अध्यक्ष (PCC) बनाया है। वहीं भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को विधान सभा दल (CLP) नेता नियुक्त किया है। हालांकि नई टीम बनने के 14 घंटे के अंदर ही हरियाणा कांग्रेस में बगावत के सुर उठने लगे हैं। पार्टी की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है।
दरअसल हरियाणा कांग्रेस में यह बदलाव वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय सिंह यादव (Captain Ajay Singh Yadav) को रास नहीं आया है। इस फैसले के तुरंत बाद कैप्टन अजय सिंह यादव ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधते हुए एक पोस्ट कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हरियाणा में अपने गिरते राजनीतिक ग्राफ पर आत्मचिंतन करनने की सलाह दे डाली। कैप्टन अजय सिंह यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं ने बेदाग छवि वाले अध्यक्ष की मांग की है। उनका आरोप है कि इस नियुक्ति के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है।
कांग्रेस हाईकमान ने ओबीसी नेता राव नरेंद्र सिंह को हरियाणा का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया, जिसके बाद पार्टी में आपसी कलह खुलकर सामने आ गई। आरोप लगाए जा रहे हैं कि बेदाग नेता को प्रदेश की कमान सौंपनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। उनके नाम के ऐलान के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है। वहीं, पार्टी ने राव नरेंद्र के साथ-साथ लगभग 11 महीने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा- हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लगातार गिरते ग्राफ को देखते हुए लिए गए निर्णय पर पार्टी को आत्म निरीक्षण करने की आवश्यकता है। राहुल गांधी की इच्छा थी कि हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष एक ऐसे व्यक्ति को बनाया जाए जिसकी छवि पूरी तरह साफ-सुथरी, बेदाग और युवा नेतृत्व की पहचान रखने वाली हो। हाालंकि निर्णय इसके ठीक उलट दिखाई देता है। इस वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं और कैडर का मनोबल बिल्कुल गिर गया है।
राहुल गांधी के माने जाते हैं करीबी
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के लगभग एक साल बाद राव नरेंद्र को नियुक्त किया, जिनके पास दशकों का राजनीतिक अनुभव है, जिसमें हुड्डा कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री और तीन बार विधायक के रूप में कार्य करना शामिल है। राव रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम को कवर करने वाले दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र के एक ओबीसी नेता हैं। सूत्रों का कहना है कि राव नरेंद्र वे नेता हैं जो हरियाणा में राहुल गांधी के करीबियों में गिने जाते हैं। राहुल गांधी की निकटता की वजह से ही आलाकमान का उन्हें सपोर्ट मिला हुआ है। कांग्रेस में शामिल होने से पहले राव हरियाणा जनहित कांग्रेस में थे। उनके पिता राव बंसी सिंह, तीन बार विधायक रहे और एक बार पंचायत मंत्री भी रहे हैं। राव को हरियाणा कांग्रेस की कमान उदयभान की जगह दी गई है। उनकी नियुक्ति अनुसूचित जाति के नेताओं की ओर से हरियाणा कांग्रेस का नेतृत्व करने की परंपरा में भी बदलाव का प्रतीक है।
पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण समय
इधर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हरियाणा में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के सामने संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं का भरोसा बहाल करने की चुनौती है। पीटीआई के अनुसार, राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति से जहां ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश होगी। वहीं अजय यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को उजागर करती है। ऐसे समय में आत्मचिंतन और समन्वय ही कांग्रेस को राज्य में मजबूत विकल्प के रूप में खड़ा कर सकते हैं।
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