अविनाश श्रीवास्तव/सासाराम। शारदीय नवरात्र का पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। आज महाअष्टमी के पावन अवसर पर रोहतास जिले के ऐतिहासिक और प्रसिद्ध ताराचंडी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सुबह तीन बजे से ही दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचने लगे थे और देखते ही देखते मंदिर प्रांगण जयकारों से गूंज उठा।

विशेष है यह पूजा स्थल

ताराचंडी मंदिर अपनी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह मंदिर एक पहाड़ी की गुफा में स्थित है जहां मां ताराचंडी की प्रतिमा विद्यमान है। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना कभी व्यर्थ नहीं जाती। विशेषकर नवरात्र के दौरान भक्तों का आस्था चरम पर होता है।

कालरात्रि की पूजा के लिए उमड़ा जनसैलाब

आज नवरात्र की सातवीं तिथि के साथ महाअष्टमी है, जिसे कालरात्रि देवी की पूजा का दिन माना जाता है। मां कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से भय और बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती है। इसी कारण आज के दिन ताराचंडी मंदिर में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है।

सुबह 3 बजे से ही जुटने लगे थे श्रद्धालु

ताराचंडी मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। हजारों श्रद्धालु नंगे पांव, सिर पर पूजा की थाल लेकर मंदिर की ओर बढ़ते नजर आए। स्थानीय लोग बताते हैं कि आज के दिन मंदिर में दर्शन के लिए आने वालों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है।

हलवा-पूरी का भोग और नौ दिनों का मेला

नवरात्र के नौ दिनों तक यहां विशेष पूजन की परंपरा है। माता को हलवा और पूरी का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में विशाल मेला भी लगता है जिसमें स्थानीय व्यापारियों के अलावा अन्य जिलों से आए दुकानदार भी भाग लेते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी में नवरात्र का उत्साह देखने को मिल रहा है।

ताराचंडी माता के प्रति श्रद्धा

ताराचंडी मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थानीय आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। यह माना जाता है कि मां ताराचंडी ने साक्षात दर्शन देकर अपने भक्तों को संकट से उबारा है। यही कारण है कि नवरात्र के दौरान यहां हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।