सुजान सिंह, अमरवाड़ा। Couple Buried Newborn Alive In Forest: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से रोंगटे खड़े करने वाला मामला सामने आया है। जहां सरकारी नौकरी के लिए एक दंपत्ति मानवता को दरकिनार कर दानव बन गया। सस्पेंड होने के डर से उन्होंने अपने 3 दिन के नवजात को जंगल में पत्थरों के बीच जिंदा गाड़ दिया। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। ग्रामीणों ने मासूम के रोने की आवाज सुनी तो उसकी जान बचाई। पूरा मामला अमरवाड़ा के धनोरा चौकी के नांदनवाड़ी का है। 

सरकारी नौकरी बचाने मासूम को जंगल में दफनाया

दरअसल, बबलू डांडोलिया और उसकी पत्नी राजकुमारी डांडोलिया तामिया के सिधौली में रहते हैं। जहां नांदनवाड़ी में प्राथमिक शाला में वर्ग 3 के शिक्षक हैं। उनकी पहले से 3 संतान थी। हाल ही में महिला ने चौथे बच्चे को जन्म दिया था जिससे उनकी सरकारी नौकरी संकट में आ गई। सस्पेंड होने के डर से  पत्नी के प्रेग्नेंट होने की बात छुपा दी। जैसे ही महिला ने मासूम को जन्म दिया, उन्होंने उसे जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया और उसके ऊपर बड़े-बड़े पत्थर रखकर ढंक दिया।

रोने की आवाज सुनकर ग्रामीणों ने बचाई जान

रोने की आवाज सुनते ही कुछ राहगीर की नजर नवजात शिशु पर पड़ी। जिस पर उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस और एंबुलेंस को इसकी सूचना दी। मासूम को प्राथमिक उपचार के लिए धनोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। जहां डॉक्टर के अनुसार नवजात के शरीर में चीटियां और कीड़े लगने से और रात भर ठंड में रहने से कोई गंभीर इंफेक्शन न हो, इसके लिए प्राथमिक उपचार किया गया। मासूम को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। 

DNA टेस्ट के बाद पुलिस पर दोषी दंपत्ति को छोड़ने का आरोप

धारा 93 बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर दोषी माता-पिता की तलाश की गई। बताया जा रहा है कि नवजात के माता-पिता की डीएनए टेस्ट होने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय छोड़ दिया। जिसके बाद ग्रामीणों ने ज्ञापन दिया। 

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