Delhi Transgender Welfare Board: दिल्ली सरकार जल्द ही ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाएगी। दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) ने नेशनल ट्रांसजेंडर अवॉर्ड्स (National Transgender Awards) में इसका ऐलान किया है। इस बोर्ड में ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रतिनिधि और कार्यकारी सदस्य शामिल होंगे। बोर्ड का मुख्य उद्देश्य इस समुदाय की समस्याओं को समझना और उनकी भलाई के लिए विशेष योजनाएं तैयार करना होगा।

मुख्यमंत्री ने यह घोषणा नेशनल ट्रांसजेंडर अवॉर्ड्स 2025 के अवसर पर की। इसका आयोजन इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर अखाड़ा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, विधायक शिखा राय, सामाजिक कार्यकर्ता और कई प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

रेखा गुप्ता ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू किए गए ट्रांसजेंडर एक्ट के बारे में बात करते हुए इसे ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार का “सबका साथ, सबका विकास” का संदेश केवल नारा नहीं है, बल्कि यह सभी को समान अवसर प्रदान करने के लिए असल और वास्तविक प्रयास को दिखाता है। सीएम ने आश्वस्त किया कि दिल्ली सरकार इस समुदाय के सम्मान, अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। उनका कहना है कि सरकार का लक्ष्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समावेशी और प्रगतिशील समाज में सक्रिय भागीदारी का अवसर देना है।

सरकारी योजनाओं पर ध्यान

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बोर्ड के ज़रिए न सिर्फ़ उनकी समस्याओं को समझा जाएगा, बल्कि विशेष योजनाएं और सुविधाएं भी तैयार की जाएंगी। इसके तहत शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए मुफ्त बस यात्रा की योजना अभी कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रही है।

रेखा गुप्ता ने कहा, “समानता और सम्मान का असली मतलब इंसानियत में संतुलन और सामंजस्य लाना है. हम चाहते हैं कि ट्रांसजेंडर समुदाय समाज में समान रूप से सम्मानित हो और हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दिखा सके।

समुदाय की प्रमुख समस्याएं

बता दें कि ट्रांसजेंडर समुदाय अक्सर नौकरी में भेदभाव, कार्यस्थल में दुर्व्यवहार और जेंडर-न्यूट्रल सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करता है। इसके कारण कई लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से भी जूझते हैं। समुदाय का कहना है कि उन्हें समान अधिकार और रोजगार में निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करने के लिए ठोस कानूनों और सुरक्षा उपायों की ज़रूरत है।

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